अपने द्वारा लिखित गाने, चुटकुले को छपवाने के लिए दर-दर भटक रहा युवक

अपने द्वारा लिखित गाने, चुटकुले को छपवाने के लिए दर-दर भटक रहा युवक

 

रिपोर्ट- शम्भू प्रसाद….
रुद्रप्रयाग। संसार में कुछ लोग ऐसे विरले होते है जो कुछ न होते हुवे भी बहुत कुछ लोगों के जीवन को अपनी लेखनी के माध्यम से जीने व सदबुद्धि के मार्ग पर चलना सिखाते है। कुछ लोग दूसरों के लिये मिसाल बनना चाहते है लेकिन संजोग या बेरोजगारी का परिणाम कहें जो उन्हे मान प्रतिष्ठा पाने के लिये जी हजुरी करनी पड़ती है। तब भी उनके किये हुवे कार्य का कोई मोल नही होता।

बता दे कि, ऐसे ही लेखनी के प्रतिभावान 37 वर्षिय सिला बामन गाँव पोस्ट पठालीधार ब्लॉक अगस्त्य मुनि निवासी सन्तोष सिंह रावत पुत्र स्व यशपाल सिंह रावत की है जो कक्षा 10 वी से हजारों हिंदी, गढ़वाली गाने, चुटकुले व गजल लिख चुके है। साथ ही उन्होंने केदारनाथ आपदा की त्रासदी के दौरान पीडितों पर भोले से नाराजगी भरा एक गीत भी लिखा उसे वे अपने आवाज के माध्यम से स्वरबद्ध कर एलबम बनाना चाह रहे है लेकिन आर्थिक तंगी के चलते यह अधर में है।

केदारनाथ आपदा पर बन रही फ़िल्म के दौरान वे उनके लिखे गाने को लेकर फ़िल्म बना रहे फिल्ममेकरों से मिले थे उन्होंने दूसरे दिन आने को कहा लेकिन जब तक वह वंहा पंहुचे तब तक केदारनाथ आपदा पर फ़िल्म बनाने वाले वंहा से चले गए जबकि उनके द्वारा लिखा गीत उन्हें भा गया था लेकिन संजोग ही कहे कि उनकी अभिलाषा दो पल में टूट गई।

उनका कहना है कि, अपने द्वारा स्वर लिखित चुटुकुले, गाने व गजल को गाने छपवाने के लिए लोक निर्माण विभाग में ठेकेदारी प्रथा के दौरान कुछ दिन नौकरी भी करनी पड़ी, और कुछ दिन बाद नौकरी जाने के बाद दुकान खोली लेकिन बीमारी ने उन्हें ऐसा घर कर दिया कि, उनकी आर्थिक तंगी, बेरोजगारी के चलते उन्हें विजय नगर की दुकान को बेचने को मजबूर होना पड़ा जिससे उनके द्वारा लिखित गजल, चुटुकुले व गीत उनकी हसरतों के मुताबिक परवान नही चढ़ पा रहे है।