यौन शिक्षा को किया जा रहा पाठ्यक्रम में शामिल
– टीन ऐज और बढ़ती सेक्स विकृतियां
वरिष्ठ पत्रकार- सलीम रज़ा….
देहरादून। देश में आये दिन अपराध होने की खबरें आती रहती हैं। जिनमें से कुछ अखबारों की सुर्खियां बनती हैं। जिनको लेकर लोगों में उबाल रहता है। जब हम बढ रहे अपराधों के पीछे छिपे कारणों को देखते हैं तो सामने आता है कि, सेक्स अपराध में लिप्त पाया जाने वाला अपराधी टीन ऐज है। ऐसे में हमने कई युवाओं (अपराधी नहीं) बल्कि उन टीन ऐज के लोगों से पूछा जो शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, और स्वभाव से मनचले नज़र आ रहे थे। हमने जब उनसे उनके डेली रूटीन और लाईफ स्टाईल को लेकर सवाल किया तो उन लोगों का जवाब तकरीबन एक ही धारणा को दर्शा रहा था कि, खाऔ-पिओ और मौज-मस्ती करो। लेकिन कुछ का जवाब था यूज एण्ड थ्रो। इस जवाब पर मेरा माथा ठनका ही नहीं मुझे विचलित भी कर गया। मैं हतप्रभ सा सोंचने लगा कि, क्या परिस्थितिया इतनी तेजी से बदल रही हैं। शायद ये ही वजह है कि, आज जब उनके व्यवहार को देखते है जिसमें आदर सत्कार और शालीनता तीनों ही चीजों का न होना पाया जाता हैं। दरअसल ये भोतिकवादी विचारधारा की परिचायक है। जिनसे आदर्शवादी विचारधारा की तवक्को करना बेवकूफी ही है।
आज की पीढ़ी सेक्स विकृति की शक्ल में दिखाई देने लगी है, जिसमें पाश्चात्य सभ्यता का योगदान तो है ही साथ ही भोतिकतावादी विचारधारा ने तो सब कुछ उलट कर रख दिया है। उसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम टीन ऐज पर पड़ा है।जिसके चलते उनका ब्रहमचर्य खंडित हो रहा है। यदि हम देखें तो पहले 25 साल तक लोग इस ब्रहमचर्य को बनाये रखते थे, लेकिन आज हम देख रहे हैं कि, टीन ऐज सेक्स विकृति की सीमा लांघ चुका है। ऐसे में ब्रहमचर्य की कल्पना करना ठीक नहीं है। इस विकृति के लिए मौजूदा पीढ़ी को पूर्ण रूप से दोषी भी नहीं ठहराया जा सकता है। उसके लिए अन्य कई चीजे भी दोषी हैं। जिसका नतीजा ये हुआ कि, उनके अन्दर इस तरह की प्रवृतियां जन्म ले रही हैं। अगर ये कहा जाये कि, इसके लिए दोषपूर्ण शिक्षा नीति उत्तरदायी है तो साथ-साथ अश्लील साहित्य की भी भूमिका इसमें महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही सिनेमा और अस्वस्थ माहौल के साथ खान-पान, भौतिक सुख के साधन और उसमे भी ज्यादा प्रभावित करता है तो वह है अश्लील चिंतन।
ये अश्लील चिंतन मिलता है मोबाईल और इन्टरनेट से, यही चीजें है जिनकी जद में आकर आजकी युवा और किशोर पीढ़ी विकृत सैक्स के अन्धे कुंऐं की तरफ चली जा रही है। शायद इसका कारण तेजी से बढ़ती जनसंख्या हो। जिसके चलते एक बहुत बड़ी आबादी आवासीय समस्या से जूझ रही है, ऐसे में वो लोग शहर की मलिन और गन्दी बस्तियों में रहते हैं। यही से उनकेे अन्दर विकिृतियां जन्म लेने लगती हैं। इन गन्दी बस्तियों में ज्यादातर अशिक्षा, बेरोजगारी, कुपोषण भिक्षावृति और इससे भी ज्यादा खतरनाक है इन बस्तियों में होने वाले जिस्म फरोसी के धन्धे और विकृत सैक्स वाली समस्याये ज्यादा होती हैं। अब अगर हम बड़े शहरो और कस्बों की आवासीय स्थिति को देखें तो जिसमें एक परिवार एक ही कमरे में जीवन जीने को मजबूर करता है। वहां भी आज की पीढ़ी को विकृत सेक्स की तरफ ले जाने को मजबूर करती हैं। यहां पर एक बात कहना बहुत जरूरी भी हो रहा है कि, कई परिवार ऐसे भी होते हैं जो अपने किशोर बच्चों के साथ एक ही कमरे में रहते हैं, ऐसी हालत में वो अपने गुप्त रखने वाले मजबूरन यौन संबंधों को स्थापित करते हैं तो वों किशोर बच्चे लेटे-लेटे सोने का बहाना बनाते हुये अपने मां-बाप के यौन संबंधों को देखते हैं।
अब आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि, उन बच्चों पर क्या असर पड़ेगा? लिहाजा समय से पहले उनके अन्दर भी हारमोंस चेंज होने लगते हैं, और समय से पहले ही वह यौन सुख का आनन्द लेने की सोंचने लगता है। परिणाम स्वरूप ऐसी भी घटनायें हो जाती हैं जहां बहन-भाई के दरम्यान यौन संबंध स्थापित होने के वाक्ये सामने आते हैं। वहीं इन्टरनेट ने तो आज के टीन ऐज का हाल और भी खराब करके रख दिया है। संचार क्रान्ति के रूप में मोबाईल दिया जिसका उपभोग सबसे ज्यादा किशोरों को करते देखा गया है। इन किशोरों के हाथों में एक से एक बेहतरीन स्मार्टफोन होगा जिन्हे हम हाथ का खिलौना कहें तो शायद गलत नहीं होगा, और यही हाथों का खिलौना आज सेक्स की विकृति का नायाब हथियार बनकर रह गया है। वहीं मल्टी फंक्शन मोबाईल आज के दौर में किशोरों की अच्छी बुरी जरूरतों का जरिया बनकर रह गया है।
आप अक्सर देखते या सुनते होंगे कि, इस मोबाईल फोन से कमजोरी का फायदा उठाकर किशोर ब्लैक मेलिंग की लार्ठन अपना रहा है। आप देखते हैं कि, एम.एम.एस. अश्लील क्लिपिंग के जरिये इन प्रवृतियों में इजाफा हुआ है। वहीं ये ऐसा छोटा उपकरण है जिससे अश्लील वीडियों और पोर्न फिल्में देखी और डाउनलोड की जा सकती है। मोबाईल एक ऐसा उपकरण है जिसे कहीं बैठकर आसानी से देखा जा सकता है, जो अनैतिकता की तरफ किशोरों को ले जा रहा है। अब आप खुद देखो जहां किशोरों को दिन-रात पोर्न देखने का आसान तरीका मिल रहा हो तो वो किशोर व्यभचारी नहीं बनेगा तो और क्या बनेगा?आज करोड़ों की तादाद में लोग पोर्न फिल्में उाउनलोड करते हैं, अगर चाहे तो गूगल सर्च करके नतीजे देखे जा सकते हैं। बहरहाल हिन्दुस्तान में ये एक गम्भीर समस्या है, यहां नैतिक वातावरण के निर्माण की जरूरत है जिस पर कोई तवज्जों नही दी जाती है।
दुःख है कि, इस बारे में न तो कोई सरकारी संस्था और न ही स्वयं सेवी संगठन सही दिशा में काम कर रही हैं। ये बात जरूर है कि, शिक्षाशास्त्री, बुद्धिजीवी या फिर समाजशास्त्री लोगों की बहस समय-समय पर होती रहती है, जो इस मौजू को जिन्दा रखते हैं। काफी समय से समाजशास्त्रियों और चिकित्साविज्ञानियों ने देश के अन्दर औपचारिक तौर से यौन शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने पर जोर दिया है। लेकिन इस सिम्त में कोई कारगर कदम नहीं उठाये जा रहे हैं। ऐसे में जिस तरह के माहौल को बल मिल रहा है अगर यौन शिक्षा को पाठ्यक्रम में नहीं शामिल किया गया तो किशोर पीढ़ी विकृत सेक्स की अन्धेरी कोठरी में गुम हो जायेगी।