Breaking: 25 दिनों से चल रहा श्रमिकों का धरना प्रशासनिक अधिकारी ध्रुवीय भालू की निंद्रा में

25 दिनों से चल रहा श्रमिकों का धरना प्रशासनिक अधिकारी ध्रुवीय भालू की निंद्रा में

देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश में सिडकुल के क्षेत्रों में लगातार कारखाने/कंपनियाँ बन्द होती जा रहीं है। जिसकी वजह से उत्तराखण्ड के हजारों श्रमिक बेरोजगार हो चुके है। परन्तु मौजूदा सरकार इस मामले में जरा चुप्पी साधे बैठी है, जरा भी ध्यान देती नहीं दिख रही है।

 

बता दें कि, 29 जुलाई 2019 में सितारगंज सिडकुल क्षेत्र में स्तिथ Amcor Flexibles India Pvt Ltd. कम्पनी ने अपने कारखाने में रातो-रात ताले जड़ दिए। जिस कारणवश कईसौ मजदूर सड़क पर आ खड़े हो गए, सिर्फ इतना ही नहीं एमकोर कम्पनी के मजदूर लगातार 25 दिन से कारखाने के मुख्य द्वार पर बैठकर प्रदेश सरकार से अपने हक की मांग कर रहे है, फैक्ट्री के बन्द होने से आक्रोशित कर्मचारियों का आंदोलन और गुस्सा बढ़ता जा रहा है। आंदोलन के पांचवें दिन पालिकाध्यक्ष हरीश दुबे और सभासदों ने धरनास्थल पर पहुंचकर आंदोलन को समर्थन भी दिया।

 

पाठकों को यह भी बतादें कि, उधमसिंह नगर जिले के सितारगंज स्तिथ सिडकुल क्षेत्र में स्थापित Amcor Company प्रबंधन ने खुद को घाटे में बताकर 29 जुलाई 2019 में तत्काल कम्पनी के गेट में ताले जड़ दिए। या यूं कह लो कि, प्रदेश से अपने कारोबार को समेट लिया। सिर्फ इतना ही नहीं कारखाना प्रबंधन ने कम्पनी में कार्यरत मजदूरों को भी कम्पनी के फैसले को लेकर अवगत नहीं कराया। इसीलिए 29 जुलाई से लेकर अब तक एमकोर कंपनी के खिलाफ फैक्ट्री में कार्यरत मजदूरों का धरना प्रदर्शन 25 दिन से लगातार चल रहा है।

बेरोजगार मजदूरों की आवाज बनने के लिए स्थानीय विधायक, व सामाजिक संगठनों ने धरना स्थल पर पहुँच मजदूरों को समर्थन देने की औपचारिकताओं को पूरा तो जरूर किया, लेकिन इन मजदूरों की बुलन्द आवाज को प्रदेश सरकार तक पहुंचने के साथ-साथ इन्हें न्याय दिलाने का कार्य अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने नहीं किया है। जबकि पिछले 25 दिनों से लगातार फेक्ट्री के गेट पर धूप, बरसात को सहते हुए भी मजदूर अपनी मांग मनवाने के लिए श्रमिक आंदोलन में डटे हुए है।

 

गौरतालब है, एक तरफ़ जहाँ सितारगंज सिडकुल क्षेत्र में खुलेआम श्रम कानूनों का उलंघन हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ श्रम अधिकारी हाथ में हाथ धरे बैठे है, या यूँ कह लो कि तमाशा देख रहे है। प्रशासन जहाँ खामोश है, वहीं प्रदेश सरकार भी मानो ध्रुवीय भालू की निंद्रा में सोई है। अब सवाल यह उठता है कि, प्रदेश में कम्पनी के तुग़लकी फरमान के खिलाफ पिछले 25 दिनों से आंदोलनरत इन श्रमिको की आवाज को आखिर कौन सुनेगा? क्या इस मजदूरों को न्याय मिल पायेगा? अगर हाँ तो कब तक?