एक्सक्लूसिव: 20 हजार की रिश्वत लेते अधिकारी को विजिलेंस ने रंगे हाथों पकड़ा

20 हजार की रिश्वत लेते अधिकारी को विजिलेंस ने रंगे हाथों पकड़ा

देहरादून। अगर उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार की बात करें तो भ्रष्टाचार/रिश्वतखोरी सरकारी अधिकारियों की नसों में खून की तरह दौडने लगा है या यूँ कहो कि उनकी पहचान बन चुका है। अधिकारी जनता से बात तो ईमानदारी की करते हैं, मुफ्त सेवा की करते हैं, लेकिन अब दुनिया भर में सभी को यह मालूम है कि, अगर सरकारी विभाग में कोई काम हो तो अधिकारी बिना पैसे या रिश्वत के नहीं करेंगे। उत्तराखण्ड प्रदेश के जसपुर में स्तिथ नगर पालिका के एक अधिकारी ने कूड़ा ढुलाई का भुगतान पास करने के लिए एक फरियादी से 20 हजार रुपये की रिश्वत मांगी।

 

फरियादी ने उक्त अधिकारी की विजिलेंस से शिकायत कर दी। जिस शिकायत पर विजिलेंस ने आरोपी अधिकारी को रिश्वत लेते धर लिया। आरोपी अधिकारी को कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ अधिकारी को 4 साल का कठोर कारावास व दस हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। इस मामले में एक मुख़्य बात यह भी है कि, शिकायतकर्ता के पक्षद्रोही होने के बाद भी एंटी करप्शन कोर्ट ने आरोपी को सजा सुनाई।

 

पाठकों को बता दें कि, यह रिश्वतखोरी की घटना 5 दिसंबर सन 2012 की है। जसपुर पालिका के अधिशासी अधिकारी अजहर अली के खिलाफ विजिलेंस को शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें शिकायतकर्ता का कहना था कि, ईओ को जेसीबी मशीन से कूड़ा ढुलाई के एवज में 20,430 रुपये का भुगतान करना था। जिस पर ईओ महोदय ने बीस हजार रुपये की डिमांड रख दी। दस हजार रुपये नकद और 10 हजार चेक, यानि कुल 20 हजार रुपये मांग लिए।

 

शिकायत प्राप्त होने पर विजिलेंस ने कार्यवाही शुरू कर दी। मौके पर दस हजार की रिश्वत लेते हुए 7 दिसंबर को ईओ को रंगे हाथों पकड़ा गया। मामला एंटी करप्शन कोर्ट में जा पहुंचा, जहां आरोप पत्र दाखिल होने के बाद अभियोजन पक्ष की तरफ से 9 गवाह पेश किए गए। जांच में ईओ अजहर अली पर लगे आरोप को सही पाया गया। सोमवार को जिला जज एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट ने रिश्वतखोर ईओ को 4 साल के कठोर कारावास की सजा के साथ-साथ दस हजार रुपये जुर्माने की भी सजा सुनाई। अगर अजहर अली द्वारा जुर्माना नही भरा गया तो दो महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ सकता है।