अल्पसंख्यक आयोग-गोपन विभाग की मिलीभगत से सरकारी राजस्व की हानि

आपसी बंदरबांट: अल्पसंख्यक आयोग में सरकारी राजस्व का नुकसान

– फ्री में गनर चाहिए तो अल्पसंख्यक आयोग में आईये….

देहरादून। अल्पसंख्यक आयोग को गोपन विभाग द्वारा 2 उपाध्यक्ष को मनोनीत करने का शासनादेश तो जारी हो गया। मगर आयोग उस समय सकते में आ गया जब उन्हें यह मालूम हुआ कि, अभी जो हाल ही में उपाध्यक्ष पद पर तैनात है। उनका एक वर्ष का कार्यकाल अभी शेष है। तभी आनन-फानन में उन्हें सरदार इकबाल खान की जोइनिंग रविवार के दिन ही करनी पड़ी ।

आपको बता दें कि, अब मजहर-नवाब-नईम को जोइनिंग तो नही मिल पाई लेकिनअपनी इस भूल को सुधारने के लिए सरकार उन्हें सारे राज्य-मंत्री स्तर की सुविधायें बिना पद ग्रहण किये ही दे रही है।

जब इस विषय पर हमने गोपन सचिव अमित सिंह नेगी से सवाल किया कि, आखिर गोपन विभाग द्वारा रिक्त पद में दो लोगो को कैसे मनोनीत कर दिया जबकि, उपाध्यक्ष का अभी कार्यकाल समाप्त ही नही हुआ है। इसपर अमित नेगी ने कहा कि, आयोग की तरफ से उन्हें 2 रिक्त पद का प्रस्ताव आया था। जबकि अल्पसंख्य आयोग के सचिव जीएस रावत का कहना है कि, गोपन विभाग को एक रिक्त पद का प्रस्ताव भेजा गया था, यह गलती शासन स्तर हुई है, जो अब अपनी करतूत पर पर्दा डालते हुए आयोग पर आरोप लगा रहे है।

जब इस क्रम में मजहर-नवाब-नईम से पूछा गया कि, वह बिना पद ग्रहण किये राज्यमंत्री स्तर की सुविधाएं क्यो ग्रहण किये हुवे है, तो उनका कहना था कि, शासन की तरफ से उन्हें मनोनीत किया गया है। बल्कि जो अल्पसंख्यक आयोग के 4 साल के उपाध्यक्ष पी.सतीश जॉन है वह गलत तरीके से आयोग में बैठे है। उनकी जोइनिंग अल्पसंख्यक कल्याण आयोग में हुई थी जो कि अभी तक अल्पसंख्यक आयोग में बैठे है। इस विषय मे जांच की जरूरत है।

कुल मिलाकर शासन-आयोग एक दूसरे के ऊपर गलतियों का भांडा फोड़ रहा है, और सरकारी धनराशि का गलत उपयोग हो रहा है। बिना पद ग्रहण किये हुवे ही सारी सरकारी सुविधायों का लाभ उठाया जा रहा है, सरकारी धनराशी की बंदरबांट विभागों में खूब चल रही है। जीरो टॉलरेन्स वाली सरकार के विभाग इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहे है, साथ ही चर्चा का विषय भी बने हुए है।