23 जुलाई को समाजवादी पार्टी ने किया सोनभद्र कूच

उत्तरप्रदेश। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर जनपद सोनभद्र की ग्रामसभा मूर्तिया (उम्भा) गांव में 17 जुलाई 2019 को हुए भीषण नरसंहार के विरोध और उसके पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए समाजवादी पार्टी ने 23 जुलाई 2019 को सोनभद्र कूच किया। मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी, चंदौली और सोनभद्र जनपदों से जनसमूह सोनभद्र के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए बड़ी संख्या में सोनभद्र में कूच किया। हजारों की संख्या में गोंड समाज एवं अन्य आदिवासी भी इस कूच में शामिल हुए।

 

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पहले ही उम्भा गांव के नरसंहार में मृत व्यक्तियों के परिवारीजनों को 20-20 लाख रूपये का मुआवजा देने और जो वर्षों से काबिज रहकर खेती कर रहे हैं, उनके नाम जमीन का पट्टा करने की भी मांग की थी। पर अब तक भाजपा की राज्य सरकार ने इस सम्बंध में कोई कार्यवाही नहीं की। स्मरणीय है, विगत 17 जुलाई 2019 को भूमाफियाओं ने जनपद सोनभद्र में थाना घोरावल के ग्राम उम्भा में 112 बीघा जमीन पर कब्जे को लेकर दस लोगों की गोली मारकर नृशंस हत्या कर दी थी, और कई लोगों को घायल भी कर दिया था।

 

पूर्व सी एम अखिलेश ने इस हत्याकाण्ड की निंदा करते हुए कहा कि, ग्राम प्रधान और प्रशासन की मिली भगत से आदिवासियों को, जो वर्षों से वहां खेती कर रहे थे, उन्हें बेदखल करने के लिए यह जघन्य अपराध हुआ है। 19 जुलाई 2019 को प्रशासन ने पीड़ित परिवारों से मिलने गए समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमण्डल को भी गांव की सीमा पर ही रोक दिया। समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमण्डल में जगदम्बा सिंह पटेल पूर्व विधायक मिर्जापुर, रमेश चन्द्र दुबे पूर्व विधायक सोनभद्र, अविनाश कुशवाहा पूर्व विधायक सोनभद्र, जाहिद बेग पूर्व विधायक भदोही, सत्य नारायण राजभर जिलाध्यक्ष समाजवादी पार्टी, चंदौली तथा आशीष यादव जिलाध्यक्ष समाजवादी पार्टी मिर्जापुर शामिल रहे।

 

इनके अतिरिक्त भाई लाल कोल (पूर्व सांसद), सुरेन्द्र पटेल (पूर्व मंत्री), व्यासजी गौड़, विजय यादव जिलाध्यक्ष सोनभद्र, रामनिहोर यादव (पूर्व जिलाध्यक्ष सोनभद्र), संजय यादव (पूर्व जिलाध्यक्ष मिर्जापुर), देवी प्रसाद चैधरी, सुरेश पटेल एवं नफीस अहमद भी जांचदल के साथ थे।

भाजपा सरकार का विपक्ष के प्रति विद्वेषपूर्ण कृत्य पूर्णतया अलोकतांत्रिक तथा तानाशाही का है। जिला प्रशासन द्वारा भाजपा सरकार के इशारे पर पीड़ितों का ही उत्पीड़न किया जा रहा है। गांव के चारों तरफ पुलिस द्वारा नाकेबंदी की गई है। धारा 144 का दुरूपयोग किया जा रहा है। भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री को गरीबों के हितों की रक्षा और उन्हें न्याय दिलाने में तत्काल कदम उठाना चाहिए। जिससे कानून-व्यवस्था का संकट उत्पन्न न हो। लेकिन लगता है कि, सरकार का लोकतंत्र से विश्वास उठ चुका है। राज्य में व्याप्त अराजकता के लिए भाजपा ही जिम्मेदार है।