खबर का असर: सरकार के दायित्वधारी का दायित्व जल्द होगा समाप्त

सरकार के दायित्वधारी का दायित्व जल्द होगा समाप्त

– आखिर बिना पद ग्रहण किये क्यों दी गई राज्यमंत्री स्तर की सुविधाएं?

देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश की भाजपा सरकार के एक दायित्व धारी का दायित्व जल्द ही समााप्त होने वाला है। इसी संदर्भ में उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग एवं गोपन विभाग द्वारा मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के पास इसकी फाइल भेजी गई है। इस मामले पर मुख्यमंत्री का अनुमोदन मिलते ही एक पद के लिए जिन दो लोगों को दायित्व दिया गया उनमें से एक व्यक्ति का दायित्व जल्द ही समाप्त किया जाएगा।

 

बता दें कि, उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग में फिलहाल 2 उपाध्यक्ष के पद हैं, इन पदों में पी सतीश जॉन और अनवर अहमद में से अनवर अहमद का कार्यकाल समाप्त होने पर सरकार की ओर से मजहर नईम नवाब और सरदार इकबाल सिंह को आयोग में उपाध्यक्ष का पद स्वीकृत कर दिया गया था।

– आखिर गोपन विभाग द्वारा रिक्त पद में दो लोगो को कैसे कर दिया मनोनीत…

एक खाली पद के साक्ष्य उपाध्यक्ष के पद स्वीकृत किए जाने से आयोग के अध्यक्ष और अधिकारी भी उस वक़्त चोंक गए जब एक पद के विपरीत 2 लोग पदभार ग्रहण कराने के लिए मौके पर पहुंच गए। आयोग के अध्यक्ष डॉ आर के जैन ने भी पहले आओ और पहले पाओ के आधार पर पहले पदभार ग्रहण करने के लिए आये हुए व्यक्ति सरदार इकबाल सिंह को पदभार ग्रहण करा दिया। लेकिन मजहर नईम पद खाली ना होने की वजह से पदभार ग्रहण नहीं कर पाए। लेकिन दायित्व की बंदरबांट के चलते आयोग में पद रिक्त ना होने पर भी मजहर नईम को कार्यभार तो ग्रहण नहीं कराया जा सका पर सरकार की ओर से गनर और राज्यमंत्री स्तर की सारी सुख सुविधाएं दे दी गई।

 

ब्राइट पोस्ट के पाठकों को याद होगा कि, बीते कुछ दिन पूर्व इस खबर का प्रकाशन किया गया था। खबर कुछ यूं थी कि, अल्पसंख्यक आयोग को गोपन विभाग द्वारा 2 उपाध्यक्ष को मनोनीत करने का शासनादेश जारी किया गया था। लेकिन आयोग उस वक़्त सकते में आ गया, जब उन्हें यह ज्ञात हुआ कि, फिलहाल जो शख्स अभी उपाध्यक्ष पद पर तैनात है। उनका एक वर्ष का कार्यकाल अभी भी शेष है। तभी आनन-फानन में आयोग को सरदार इकबाल खान की जोइनिंग रविवार के दिन ही करवानी पड़ी।

 

– गलती शासन स्तर से हुई- सचिव जीएस रावत अल्पसंख्यक आयोग

 

फिर हुआ कुछ यूं कि, मजहर-नवाब-नईम को जोइनिंग तो नही मिल पाई, लेकिन अपनी इस भूल को सुधारने के लिए सरकार ने उन्हें सारे राज्य-मंत्री स्तर की सुविधायें बिना पद ग्रहण किये ही दे दी। जब इस विषय पर हमारे द्वारा गोपन विभाग के सचिव अमित सिंह नेगी से पूछा गया कि, आखिर गोपन विभाग द्वारा रिक्त पद में दो लोगो को कैसे मनोनीत कर दिया जबकि, जो पहले से उपाध्यक्ष है, उनका कार्यकाल अभी समाप्त ही नही हुआ है। इस पर अमित नेगी ने कहा कि, आयोग की तरफ से उन्हें 2 रिक्त पद का प्रस्ताव आया था। जबकि अल्पसंख्य आयोग के सचिव जीएस रावत ने कहा कि, गोपन विभाग को एक रिक्त पद का प्रस्ताव भेजा गया था, यह गलती शासन स्तर हुई है, जो अब अपनी करतूत पर पर्दा डालते हुए आयोग पर आरोप लगा रहे है।

 

इसी क्रम में हमने मजहर-नवाब-नईम से पूछा कि, वह बिना पद ग्रहण किये राज्यमंत्री स्तर की सुविधाएं क्यो ग्रहण किये हुवे बैठे है, तो उनका कहना था कि, शासन की तरफ से उन्हें मनोनीत किया गया है। बल्कि जो अल्पसंख्यक आयोग के 4 साल के उपाध्यक्ष पी.सतीश जॉन है, वह गलत तरीके से आयोग में बैठे है। उनकी जोइनिंग अल्पसंख्यक कल्याण आयोग में हुई थी जो कि, अभी तक अल्पसंख्यक आयोग में बैठे है। इस विषय मे जांच की जरूरत है। कुल मिलाकर शासन/आयोग एक दूसरे के ऊपर गलतियों का भांडा फोड़ने के साथ-साथ सरकारी धनराशि का भी गलत उपयोग कर रहा है।

 

– विभागों में सरकारी धनराशी की बंदरबांट….

 

बिना पद ग्रहण किये हुवे ही सारी सरकारी सुविधायों का लाभ उठाया जा रहा है, बीते कुछ समय से सरकारी धनराशी की बंदरबांट विभागों में जोर पकड़े हुए है। जीरो टॉलरेन्स वाली सरकार के विभागों ने इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रखी है। साथ ही चर्चा का विषय भी बने हुए है। अब इस पूरे प्रकरण को देखते हुए तो केवल यही कहावत याद आती है कि, खाने को मिले यूँ तो खेती करें क्यों?