अल्मोड़ा में वन्यजीव और प्रशासनिक लापरवाही पर फूटा जनआक्रोश। भालू का आतंक बढ़ा, नगर निगम में पार्षदों का धरना शुरू
देहरादून। उत्तराखंड में जनजीवन इन दिनों दोहरी मार झेल रहा है। एक ओर पहाड़ी जिलों में भालुओं का बढ़ता आतंक, दूसरी ओर नगर निकायों में प्रशासनिक अव्यवस्था। मंगलवार को उत्तरकाशी और अल्मोड़ा दोनों स्थानों पर जनता और जनप्रतिनिधियों का आक्रोश फूट पड़ा।
उत्तरकाशी में खेतों में दिखे दो भालू, ग्रामीण दहशत में
उत्तरकाशी के बसुंगा गांव में मंगलवार सुबह खेतों में एक साथ दो भालू घूमते दिखाई दिए। ग्रामीणों ने इसे कैमरे में कैद कर सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसके बाद इलाके में दहशत फैल गई।
स्थानीय लोगों के अनुसार जिले में अब तक 13 लोगों पर भालुओं का हमला हो चुका है। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग की गश्त और निगरानी का केवल कागज़ी दावा होता है, जबकि धरातल पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
कांग्रेस का वन विभाग कार्यालय पर घेराव
लगातार बढ़ते हमलों से नाराज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जिलाध्यक्ष प्रदीप रावत के नेतृत्व में डीएफओ कार्यालय का घेराव किया।
रावत ने कहा, “जब जनता मर रही है, तब विभाग के अधिकारी ताले डालकर गायब हैं। यह धामी सरकार और वन विभाग की घोर लापरवाही का सबूत है।” कांग्रेस ने चेतावनी दी कि यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने कहा कि संवेदनशील क्षेत्रों में वन विभाग रात्रिकालीन गश्त कर रहा है और ग्रामीणों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।
अल्मोड़ा में बंदरों के आतंक और आयुक्त की नियुक्ति न होने पर पार्षदों का अनिश्चितकालीन धरना
उत्तरकाशी में भालुओं के आतंक के बीच अल्मोड़ा में जनता एक अन्य समस्या से जूझ रही है। बंदरों का बढ़ता खतरा और नगर आयुक्त की अनुपस्थिति।
नगर निगम गेट पर कांग्रेस समर्थित और निर्दलीय पार्षदों ने मंगलवार से अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया।
उनका आरोप है कि निगम बने एक वर्ष होने के बावजूद स्थायी नगर आयुक्त नियुक्त नहीं किया गया, जिससे विकास कार्य ठप पड़ गए हैं।
“बंदरों ने जीवन दूभर कर दिया है”- पार्षद
पार्षद चंचल दुर्गापाल ने कहा, “बच्चों का घर से स्कूल तक निकलना मुश्किल हो गया है। बंदर हर दिन हमला कर रहे हैं, लेकिन निगम और वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।”
पार्षदों ने चेतावनी दी है कि जब तक नगर आयुक्त की नियुक्ति और बंदरों की समस्या का समाधान नहीं होता, धरना जारी रहेगा।
मेयर की सफाई
मेयर अजय वर्मा ने कहा कि बंदर पकड़ने के लिए पहले ई-टेंडर जारी हुआ था, लेकिन कोई कंपनी आगे नहीं आई। अब विशेषज्ञ टीम से संपर्क कर व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।
दो जिले, दो संकट। एक सवाल: प्रशासन कब जागेगा?
उत्तरकाशी में इंसानों पर भालुओं के बढ़ते हमले और अल्मोड़ा में बंदरों के आतंक के बीच जनता का धैर्य टूटने लगा है। दोनों जिलों में जनता और जनप्रतिनिधियों के सड़क पर उतरने से सरकार और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।


