बिग ब्रेकिंग: दून अस्पताल में फ्री जांच व्यवस्था में बड़ा बदलाव, डॉक्टरों से अधिकार वापस

दून अस्पताल में फ्री जांच व्यवस्था में बड़ा बदलाव, डॉक्टरों से अधिकार वापस

देहरादून। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में फ्री बिलिंग एवं जांच से जुड़ी प्रणाली में बड़ा बदलाव किया गया है। एमएस कार्यालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार, अब पात्रों, जरूरतमंदों, छात्रों, लावारिसों और स्टाफ के लिए फ्री जांच-इलाज की अनुमति केवल एमएस, डिप्टी एमएस और इमरजेंसी में ईएमओ के पास ही रहेगी।

एमएस डॉ. रविंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि पूर्व में इस प्रक्रिया के लिए डॉ. अभय कुमार, डॉ. के.सी. पंत, डॉ. जे.एस. बिष्ट, डॉ. गौरव मुखीजा और डॉ. अरुण कुमार पांडे को अधिकृत किया गया था। वर्तमान आदेश में इन डॉक्टरों से यह अधिकार वापस ले लिया गया है।

मरीजों को हो सकती है असुविधा

कई अस्पताल कार्मिकों का कहना है कि नई व्यवस्था के कारण पात्र मरीजों को परेशानी हो सकती है। एमएस और डिप्टी एमएस प्रशासनिक बैठकों एवं अन्य कार्यों में व्यस्त रहते हैं, ऐसे में उनकी उपलब्धता हर समय सुनिश्चित नहीं होती। इसे देखते हुए लोगों का मानना है कि पूर्व की तरह पैनल डॉक्टरों को फिर से अधिकृत किया जाना चाहिए।

फ्री जांच में गड़बड़ी की आशंका

फ्री जांच व्यवस्था की समीक्षा में कई विसंगतियां सामने आई हैं। प्राथमिक जांच में पाया गया कि एक डॉक्टर ने अपने परिचितों को पत्रकार बताकर फ्री उपचार दिलाया। कई पर्चों पर फ्री बिलिंग अधिकृत डॉक्टरों की नकली मोहर और फर्जी हस्ताक्षर पाए गए। इतना ही नहीं, मरीज की पात्रता श्रेणी का उल्लेख भी नहीं किया गया था।

प्रबंधन के अनुसार कुछ डॉक्टरों द्वारा जूनियर रेजिडेंट (JR) के माध्यम से फ्री जांच कराए जाने की शिकायतें भी मिली थीं।

पारदर्शिता के लिए बदलाव

अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि लगातार हो रही अनियमितताओं को देखते हुए निर्णय लिया गया है कि फ्री उपचार के वास्तविक पात्रों को ही लाभ मिले। साथ ही, दुरुपयोग और फर्जी तरीके से लाभ लेने वालों पर रोक लगे।

फर्जीवाड़े की जांच शुरू

दस्तावेजों की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि कुछ डॉक्टरों ने अपने घरेलू काम करने वालों तक का फ्री इलाज कराया। अस्पताल प्रबंधन ने इसको गंभीरता से लेते हुए फ्री इलाज से जुड़े सभी दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी है। दोषी पाए जाने वालों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी है।