बिग ब्रेकिंग: धामी कैबिनेट ने भू-कानून को दी मंजूरी। पढ़ें क्या है नया भूकानून….

धामी कैबिनेट ने भू-कानून को दी मंजूरी। पढ़ें क्या है नया भूकानून….

देहरादून। उत्तराखंड की धामी कैबिनेट ने बहुप्रतीक्षित भू कानून को मंजूरी दे दी है। राज्यभर में लंबे समय से इस कानून की मांग की जा रही थी। सरकार ने इसे बजट सत्र में पेश करने का फैसला लिया है, जिससे विधिवत रूप से इसे लागू करने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

क्या है नया भू कानून?

कैबिनेट द्वारा स्वीकृत इस भू कानून के तहत बाहरी व्यक्तियों द्वारा राज्य में जमीन खरीदने पर कुछ सख्त प्रावधान किए गए हैं। इसमें हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर कुछ प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, जिससे बाहरी निवेशकों द्वारा अनियंत्रित भूमि खरीद पर रोक लगे और स्थानीय लोगों के हित सुरक्षित रहें।

भू कानून की मंजूरी क्यों महत्वपूर्ण?
  1. स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा – इससे उत्तराखंड के मूल निवासियों की भूमि सुरक्षित रहेगी।
  2. बाहरी खरीद पर नियंत्रण – बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध जमीन खरीदने की प्रवृत्ति पर लगाम लगेगी।
  3. पर्यावरण संतुलन – अवैध निर्माण और अतिक्रमण को रोका जा सकेगा।
  4. पलायन पर रोक – जमीन सुरक्षित रहने से पहाड़ों से पलायन की समस्या कम हो सकती है।
आगे क्या?

अब यह प्रस्ताव बजट सत्र में विधानसभा में पेश किया जाएगा। इसके पारित होने के बाद उत्तराखंड में भूमि खरीद से जुड़े नए नियम लागू हो जाएंगे।

राज्य के लोगों के लिए यह एक बड़ी जीत मानी जा रही है, क्योंकि लंबे समय से भू कानून की मांग को लेकर कई सामाजिक संगठन और युवा आंदोलनरत थे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार जनता की भावनाओं के अनुरूप निर्णय ले रही है और यह कानून उत्तराखंड की सांस्कृतिक और सामाजिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

क्या है भू-कानून और क्यों हो रही है इसकी मांग

भू-कानून वह कानून होता है, जो किसी राज्य में जमीन की खरीद-फरोख्त को नियंत्रित करता है। उत्तराखंड के लोग मांग कर रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश और कुछ अन्य पर्वतीय राज्यों की तरह यहां भी सख्त भूमि कानून लागू किया जाए, ताकि बाहरी व्यक्तियों द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन खरीदने और स्थानीय आबादी को विस्थापित होने से रोका जा सके।

मुख्य बिंदु: उत्तराखंड में भू-कानून की जरूरत क्यों?
  1. बाहरी लोगों द्वारा भूमि खरीद में बढ़ोतरी
    पिछले कुछ वर्षों में राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों और गांवों में बाहरी निवेशकों ने तेजी से जमीन खरीदी है। इससे स्थानीय लोगों की जमीनें महंगी होती जा रही हैं और वे खुद अपनी जमीन नहीं खरीद पा रहे।
  2. जनसंख्या असंतुलन और पलायन
    बाहरी लोगों के बढ़ते दखल के कारण स्थानीय संस्कृति और परंपराएं खतरे में पड़ रही हैं। कई गांवों में मूल निवासी कम होते जा रहे हैं, जिससे पारंपरिक पहाड़ी समाज की संरचना प्रभावित हो रही है।
  3. पर्यावरण पर प्रभाव
    अनियंत्रित भूमि खरीद से बेतरतीब निर्माण कार्य हो रहे हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। पहाड़ों की हरियाली और जल स्रोतों पर भी संकट मंडरा रहा है।
  4. रोजगार और आजीविका पर असर
    बाहरी लोगों द्वारा होटल, रिज़ॉर्ट और अन्य व्यावसायिक प्रोजेक्ट बनाए जाने से स्थानीय युवाओं को रोजगार के कम अवसर मिल रहे हैं, क्योंकि अधिकांश नौकरियां बाहरी लोगों को दी जा रही हैं।
  5. हिमाचल मॉडल की मांग
    उत्तराखंड के लोग हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर ऐसा कानून चाहते हैं, जिसमें बाहरी व्यक्ति के लिए जमीन खरीदने की सख्त शर्तें हों। हिमाचल में गैर-हिमाचली लोगों के लिए कृषि भूमि खरीदने पर रोक है, जिससे वहां के स्थानीय लोगों की जमीनें सुरक्षित रहती हैं।