उत्तराखंड कांग्रेस ने किया टीएचडीसी के विनिवेश का प्रदेशव्यापी विरोध
देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा महरा दसौनी ने केन्द्र एवं राज्य सरकार को आडे हाथों लेते हुए कहा कि, जिन पांच कम्पनियो की हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी मिली है। उसमें से टिहरी हाईड्रो डेवलेप्मेंट काॅरपोरेशन (टीएचडीसी) भी एक है। जिस उत्तराखण्ड को एक पूरे शहर की सभ्यता ने बिजली के एक बांध के खातिर जल समाधि ले ली हो और हजारों की तादाद में लोगों के घर परिवार तितर-बितर (विस्थापित) होने को मजबूर हो गये हों।
प्रवक्ता दसौनी ने कहा कि, अगर आज केन्द्र सरकार उसके निजीकरण या विनिवेश की बात कर रही है, तो ये उत्तराखण्ड के स्वाभिमान एवं बलिदान पर कुठाराघात है। उन्होेंने केन्द्र सरकार के इस निर्णय की निन्दा करते हुए कहा कि, टीएचडीसी के वर्तमान ढांचे में परिवर्तन में नही होना चाहिए और इसका मालिकाना हक पूर्णतः यथावत बना रहना चाहिए। अगर टीएचडीसी का विलय/निजीकरण हो गया तो इसका अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा। टिहरी के लोगों की आवाज उनका बलिदान पूर्णतया विलुत्प हो जायेगा।
उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत पर उत्तराखंड की भोली-भाली जनता को ठगने, बर्गलाने एवं भ्रमित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि, आपने अपने झूठ की आड़ में टिहरी की जनता की पीठ पर छुरा घोपने का काम किया है।
कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा ने सवाल करते हुए पूछा कि, टीएचडीसी जो कि उत्तराखण्ड की करोड़ो की मुनाफा कमाने वाली कम्पनी है, ऐसे में उसके निजीकरण/विलय करने का क्या औचित्य है? ये समझ से परे है। अगर किसी बीमार कम्पनी जो कि, अपना प्रबंधन चलाने में या घाटे में जा रही हो, उसका निजीकरण या विलय समझ में आता है, पर एक मुनाफा कमाने वाली कम्पनी जिससे कि, तमाम पड़ोसी राज्य भी लाभान्वित हो रहे हों, उसको निजी हाथों में सौंपने का क्या औचित्य है?
उत्तराखंड कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने राज्य सरकार से मांग की है कि, अतिशीघ्र उक्त मामले में दखल देते हुए केन्द्र सरकार से यह निवेदन करे कि, यदि यह निर्णय वापस नहीें लिया गया तो उत्तराखण्ड की जनता के साथ एक बड़ा धोखा होगा, एवं आक्रोशित उत्तराखण्डियों को अपने हक के लिए आन्दोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।