देहरादून में वकीलों की हड़ताल जारी, हजारों मामलों की सुनवाई ठप। भारी नुकसान का अनुमान
- सरकारी आश्वासन के बावजूद नहीं टूटा आंदोलन, करोड़ों के नुकसान का अनुमान
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में वकीलों की हड़ताल बीते 32 दिनों से लगातार जारी है। सरकार की ओर से लिखित आश्वासन दिए जाने के बावजूद हड़ताल समाप्त नहीं हो सकी है। इस लंबे आंदोलन का सीधा असर आम जनता, न्यायिक व्यवस्था और वकालत से जुड़े पेशेवरों पर पड़ रहा है।
वकीलों की यह हड़ताल बीते महीने की 10 तारीख से शुरू हुई थी। उनकी प्रमुख मांगें नए कोर्ट परिसर में चेंबर निर्माण और भूमि आवंटन से जुड़ी हैं। हड़ताल के 28वें दिन सरकार की ओर से सकारात्मक आश्वासन मिलने के बाद इसे स्थगित किए जाने की बात कही गई थी, लेकिन इसके बावजूद आंदोलन 32वें दिन भी जारी है।
सरकारी प्रतिनिधिमंडल पहुंचा धरना स्थल
सोमवार को गृह सचिव शैलेश, जिलाधिकारी देहरादून और पुलिस कप्तान धरना स्थल पर पहुंचे थे। इस दौरान वकीलों को लिखित आश्वासन दिया गया कि उनकी मांगों पर आवश्यक प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके बावजूद वकीलों का एक बड़ा वर्ग अभी भी हड़ताल पर डटा हुआ है।
रोजाना 2 से 3 हजार मामलों पर असर
हड़ताल का असर न्यायिक प्रक्रिया पर गंभीर रूप से पड़ रहा है। बार एसोसिएशन से इस्तीफा दे चुके पूर्व सचिव राजबीर बिष्ट ने बताया कि हड़ताल के कारण सैकड़ों प्रकार के सार्वजनिक और निजी मामलों की सुनवाई रुकी हुई है।
ज़मानत याचिकाएं, आपराधिक मुकदमे, पारिवारिक विवाद, वसीयत, प्रॉपर्टी से जुड़े केस और अन्य जरूरी मामलों पर कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है।
एक अनुमान के मुताबिक रोजाना 2,000 से 3,000 मामलों पर असर पड़ रहा है। बीते 32 दिनों में हजारों मुकदमे पेंडिंग हो चुके हैं, जिससे आने वाले समय में केस बैकलॉग और बढ़ने की आशंका है।
जमानत और पारिवारिक मामलों पर गंभीर असर
वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भदौरिया का कहना है कि कानूनी देरी का सबसे संवेदनशील प्रभाव उन लोगों पर पड़ता है, जिनकी स्वतंत्रता अदालतों के फैसलों पर निर्भर है।
जमानत न मिलने के कारण वृद्ध और आर्थिक रूप से कमजोर आरोपी जेल में अतिरिक्त दिन बिता चुके हैं। घरेलू हिंसा और यौन अपराधों से जुड़े मामलों में पीड़ितों को समय पर संरक्षण और न्याय नहीं मिल पा रहा है।
महिलाओं और बच्चों से जुड़े पारिवारिक मामलों में अंतरिम आदेशों में देरी उनके जीवन पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती है।
40–50 करोड़ रुपये तक नुकसान का अनुमान
हड़ताल का आर्थिक असर भी बेहद गंभीर बताया जा रहा है। वरिष्ठ वकील अरुण भदौरिया के अनुसार इस आंदोलन से केवल आम जनता ही नहीं, बल्कि जूनियर वकील, टाइपिस्ट, मोहर्रिर, रजिस्ट्री लेखक और अन्य सहायक कर्मी भी प्रभावित हुए हैं।
रजिस्ट्री, स्टांप शुल्क, कोर्ट फीस और अन्य कानूनी सेवाओं से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों में भारी गिरावट आई है। सरकारी और स्थानीय आकलन के अनुसार केवल कोर्ट फीस और स्टांप ड्यूटी में ही 15 से 20 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है, जबकि कुल आर्थिक क्षति 40 से 50 करोड़ रुपये या उससे अधिक आंकी जा रही है।
रियल एस्टेट और वित्तीय लेन-देन भी प्रभावित
नए साल से पहले जमीन की रजिस्ट्री, एग्रीमेंट और अन्य वित्तीय लेन-देन का यह प्रमुख समय होता है। वकीलों की हड़ताल के कारण रियल एस्टेट और अन्य आर्थिक गतिविधियां भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
सरकार ने जल्द समाधान का दिया भरोसा
मुख्यमंत्री के अपर सचिव बंशीधर तिवारी ने कहा कि हड़ताल से नुकसान होना तय है और इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वकीलों की मांगों को लेकर सरकार गंभीर है और जल्द ही इस मामले में कोई ठोस निर्णय सामने आएगा।


