उत्तराखंड में फर्जी प्रमाणपत्र माफिया पर कसेगी लगाम? राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने उठाई कड़ी कार्रवाई की मांग
देहरादून। राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शिवप्रसाद सेमवाल ने उत्तराखंड में फर्जी स्थायी निवास और फर्जी जाति प्रमाणपत्र जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
उन्होंने कहा कि पटवारी से लेकर तहसीलदार और एसडीएम स्तर तक की मिलीभगत के बिना इस तरह का बड़ा फर्जीवाड़ा संभव ही नहीं है।
सेमवाल ने कहा कि, इस तरह जारी किए जाने वाले प्रमाणपत्र न सिर्फ प्रशासनिक भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं बल्कि राज्य के स्थानीय युवाओं के अधिकारों पर सीधा हमला हैं। उनके अनुसार, ‘‘ये फर्जी दस्तावेज़ भविष्य से खिलवाड़ और स्थानीय युवाओं की प्रतिस्पर्धा क्षमता के साथ अन्याय हैं।’’
चमोली का चर्चित मामला उदाहरण के रूप में पेश
उन्होंने चमोली जिले में सामने आए हालिया प्रकरण का जिक्र किया, जिसमें नाबालिग छात्रा के साथ यौन शोषण के आरोपी गेस्ट टीचर युनुस अंसारी पर फर्जी दस्तावेज़ हासिल करने के आरोप भी लगे हैं।
अंसारी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जलालाबाद का निवासी बताया जाता है, लेकिन उसने चमोली का स्थायी निवास प्रमाणपत्र और ओबीसी प्रमाणपत्र हासिल कर सरकारी नौकरी प्राप्त कर ली।
सेमवाल ने उठाये सवाल
- क्या पटवारी ने बिना सत्यापन रिपोर्ट तैयार की?
- क्या तहसीलदार और एसडीएम ने बिना जांच के हस्ताक्षर कर दिए?
- या फिर पूरा मामला एक संगठित साजिश का हिस्सा है?
उनका कहना है कि यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि “प्रशासनिक तंत्र में व्याप्त सड़ांध” का प्रतीक है।
‘रक्तबीज तंत्र’ का आरोप! एक मामले में ढिलाई, दस नए फर्जी प्रमाणपत्र
सेमवाल ने कहा कि उत्तराखंड में फर्जी प्रमाणपत्रों का गिरोह किसी ‘रक्तबीज तंत्र’ की तरह काम कर रहा है—एक पर कार्रवाई नहीं हुई, तो दस नए मामले सामने आ जाते हैं।
उन्होंने बताया कि ऐसे फर्जी दस्तावेजों के सहारे लोग सरकारी नौकरियों, शैक्षणिक अवसरों और कई योजनाओं के लाभ ले रहे हैं, जिससे स्थानीय युवाओं के अधिकार प्रभावित होते हैं और क्षेत्रीय आरक्षण व्यवस्था अपनी सार्थकता खो बैठती है।
स्पेशल जांच कमेटी गठन करने की मांग
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने मांग की कि, राज्य सरकार तुरंत एक स्पेशल जांच कमेटी गठित करे। सभी विभागों और योजनाओं में जारी स्थायी निवास एवं जाति प्रमाणपत्रों की पुरानी और नई दोनों श्रेणियों की जांच की जाए।
- जांच को समयबद्ध किया जाए।
- फर्जीवाड़े में शामिल अधिकारियों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए
- डिजिटल वेरिफिकेशन और इंटर-स्टेट डेटाबेस इंटीग्रेशन अनिवार्य बनाया जाए
उनका कहना है कि यदि अब भी सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो “यह खेल राज्य के युवाओं के सपनों को कुचलता रहेगा और प्रशासनिक विश्वसनीयता रसातल में चली जाएगी।”
स्थानीय हितों की रक्षा का वादा
सेमवाल ने कहा कि, राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी राज्य के स्थानीय हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और सरकार से इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई की अपेक्षा करती है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ढिलाई बरतती है, तो पार्टी इस मुद्दे को व्यापक जनांदोलन के रूप में उठाने में पीछे नहीं हटेगी।


