हजारों की भीड़, नम आंखें। दिवाकर भट्ट की अंतिम यात्रा में उमड़ा उत्तराखंड
हरिद्वार। उत्तराखंड राज्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष और राज्य आंदोलन के प्रखर सेनानी दिवाकर भट्ट का मंगलवार शाम निधन हो गया।
बुधवार को हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उनके बेटे ललित भट्ट ने उन्हें मुखाग्नि दी।
अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में आंदोलनकारी, राजनीतिक दलों के नेता, समर्थक और स्थानीय लोग शामिल हुए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से जिलाधिकारी मयूर दीक्षित और एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
‘राज्य को बचाने की लड़ाई भी लड़ी’
दिवाकर भट्ट के साथियों ने बताया कि उन्होंने न सिर्फ राज्य निर्माण का संघर्ष किया, बल्कि राज्य बनने के बाद इसकी अस्मिता और अधिकारों को बचाने की लड़ाई भी लगातार जारी रखी।
1979 में उन्होंने तरुण संगम संस्था की स्थापना की और हरिद्वार स्थित अपने निवास को राज्य आंदोलन का मुख्य केंद्र बनाया।
उन्होंने पौड़ी, नैनीताल ही नहीं बल्कि मुंबई तक राज्य निर्माण के लिए प्रदर्शन किए और बड़े स्तर पर अलख जगाई। बाला साहब ठाकरे की एक रैली में उन्होंने उत्तराखंडवासियों को संबोधित कर आंदोलन को नई ऊर्जा दी थी।
असाधारण आंदोलनकारी: 31 दिन की भूख हड़ताल से ‘फील्ड मार्शल’ तक
दिवाकर भट्ट ने श्रीयंत्र टापू, खेट पर्वत जैसे कठिन क्षेत्रों में जाकर 31 दिन की भूख हड़ताल की, जहां प्रशासन का पहुंचना बेहद चुनौतीपूर्ण था।
उनके साथियों ने बताया कि वह उत्तराखंड के ऐसे पहले आंदोलनकारी थे जिन्हें सेना में न होते हुए भी ‘फील्ड मार्शल’ की उपाधि दी गई।
उनकी आक्रामक भूमिका का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक बार तत्कालीन डीआईजी को चेतावनी देते हुए कहा था “गोली का जवाब गोली से देंगे।”
नेताओं ने बताया ‘अपूर्णीय क्षति’
दिवाकर भट्ट के अंतिम संस्कार में प्रदेश की राजनीति और आंदोलन की लगभग सभी प्रमुख हस्तियां मौजूद रहीं।
शोक व्यक्त करने वालों में शामिल थे—
- पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक
- पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत
- विधायक मदन कौशिक, रवि बहादुर, मुन्ना सिंह चौहान, मोहम्मद शहजाद
- पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, प्रीतम सिंह पंवार
- कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल
- UKD अध्यक्ष सुरेंद्र कुकरेती, पूर्व अध्यक्ष काशी सिंह एरी
- जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, भारी जनसमूह
पूर्व मुख्यमंत्री निशंक ने कहा कि अस्सी के दशक में उन्होंने दिवाकर भट्ट के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया था।
काशी सिंह एरी ने उन्हें “राज्य आंदोलन का बड़ा सिपाही” बताया।
कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा, “उत्तराखंडी अस्मिता को जीने वाला सच्चा समाज सेवक हमने खो दिया।”
राज्य में शोक की लहर
दिवाकर भट्ट के निधन से उत्तराखंड में गहरा शोक है। आंदोलन की पीढ़ियाँ उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में याद करती रहेंगी, जिन्होंने जीवन का हर क्षण राज्य के अधिकारों, अस्मिता और संघर्ष को समर्पित किया।


