SGRRU में पर्वतीय खेती पर संवाद, विशेषज्ञों ने बताई खुशहाली की राह
- औषधीय व सुगंधित पौधों की खेती से रोजगार और आत्मनिर्भरता के नए अवसर
देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज में सोमवार को “यूथ डायलॉग ऑन ट्रांसफॉर्मिंग हिल एग्रीकल्चर इन उत्तराखण्डः प्रॉस्पेक्ट्स एंड पोटेंशियल ऑफ एरोमैटिक प्लांट्स” विषय पर एक दिवसीय संवाद कार्यक्रम आयोजित हुआ।
कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कहा कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती किसानों, युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता की नई राह खोल सकती है।
कार्यक्रम में 300 से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. प्रताप सिंह पंवार, वाइस प्रेसीडेंट, स्टेट मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड उत्तराखण्ड, विशिष्ट अतिथि डॉ. नृपेन्द्र चौहान, निदेशक सेंटर फॉर एरोमैटिक प्लांट्स (सीएपी) व सीईओ स्टेट मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड, तथा प्रो. (डॉ.) कुमुद सकलानी, कुलपति श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय ने संयुक्त रूप से किया।
मुख्य अतिथि डॉ. पंवार ने कहा कि अश्वगंधा, तुलसी, सर्पगंधा और शतावरी जैसे औषधीय पौधे किसानों की आय बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं। इनसे तैयार हर्बल चाय, तेल और स्किन-केयर उत्पादों को स्थानीय महिला स्वयं सहायता समूह ब्रांड बनाकर बाजार में बेच सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि डॉ. नृपेन्द्र चौहान ने पारंपरिक खेती के साथ-साथ जैविक खेती को बढ़ावा देने पर बल दिया। उन्होंने युवाओं को आह्वान किया कि वे वैज्ञानिक प्रशिक्षण लेकर एलोवेरा, स्टीविया और लेमनग्रास जैसे पौधों की खेती कर हर्बल उत्पाद तैयार करें और उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुँचाएं।
कुलपति प्रो. (डॉ.) कुमुद सकलानी ने बताया कि विश्वविद्यालय, श्री दरबार साहिब की भूमि पर जैविक खेती के कई सफल प्रोजेक्ट्स चला रहा है, जो प्रदेश में ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने का उदाहरण है।
कार्यक्रम का संचालन स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज की डीन डॉ. प्रियंका बनकोटी ने किया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन छात्रों को बाजार की मांग और अवसरों से जोड़ते हैं। अंत में उन्होंने सभी का आभार व्यक्त किया।