भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और घालमेल का अड्डा बना पेयजल निगम। पढ़ें….
देहरादून। उत्तराखंड पेयजल निगम भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का अड्डा बनता जा रहा है। टेंडर में पैसे खाने, योजनाओं में वित्तीय अनियमितता समेत कई गड़बड़ियां उजागर हो चुकी हैं।
साथ ही जल जीवन मिशन के कार्य भी केंद्र सरकार की आंखों में खटक रहे हैं। पेयजल निगम के कई अधिकारी मनमानी पर उतारू हैं। हालांकि, निगम में आए दिन गंभीर आरोपों के बीच अब मामले पर सख्त कार्रवाई की शुरुआत हो गई है।
मुख्य अभियंता एसके विकास के खिलाफ मुख्यमंत्री स्तर की सतर्कता समिति ने विजिलेंस जांच की अनुमति दे दी है। आरोप है कि उन्होंने अपनी पत्नी के खाते में टेंडर के एवज में पैसे ट्रांसफर करवाए।
टेंडर के बदले पैसे, कई इंजीनियरों पर गिरी गाज
राज्यभर में गोपेश्वर, चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल और पिथौरागढ़ जिलों में पेयजल योजनाओं में टेंडर आवंटन को लेकर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं।
टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता के अभाव, एक ही ठेकेदार को कई योजनाएं देने, और प्लानिंग से लेकर कार्यान्वयन तक अफसरों की मिलीभगत के संकेत मिले हैं।
विशेष रूप से टिहरी जिले की कफोलस्यूं, लक्ष्मीली ढुंगी की धार व प्रतापनगर पेयजल योजनाओं की जांच में कई इंजीनियरों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। जल जीवन मिशन के तहत 60 से अधिक योजनाओं की वित्तीय अनियमितताओं की जांच चल रही है।
पौड़ी जिले में 16 योजनाएं एक ही ठेकेदार को, टेंडर रद्द
पौड़ी जिले में 22 पेयजल योजनाओं में से 16 योजनाएं एक ही ठेकेदार को चार दिन में आवंटित कर दी गईं। गड़बड़ी सामने आने के बाद सभी टेंडर रद्द कर नए सिरे से आवंटन किया गया। अब इन योजनाओं की वित्तीय जांच के लिए मामला ईडी तक पहुंच गया है।
दो जाति प्रमाणपत्र से नौकरी, शासन से मांगी गई राय
एक अन्य गंभीर मामला वर्ष 2012 की सहायक अभियंता भर्ती का है, जिसमें एक अभ्यर्थी ने आवेदन के समय यूपी बिजनौर और साक्षात्कार के समय पौड़ी का जाति प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया।
यह मामला अब शासन को भेजा गया है और न्याय विभाग की राय के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान जल निगम स्तर पर सभी कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगी हुई है।
विभागीय सख्ती और पारदर्शिता की ओर कदम
पेयजल सचिव शैलेश बगौली ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और विजिलेंस रिपोर्ट के आधार पर आगे सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही अन्य लंबित मामलों में भी यदि रिपोर्ट फाइनल होती है तो त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
इन घटनाओं से साफ है कि पेयजल निगम में वर्षों से चल रहे टेंडर फर्जीवाड़े, नियुक्ति में धांधली और नियमों की अनदेखी को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड के संकल्प की दिशा में यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है।