उत्तराखंड तकनीकी विश्विद्यालय में गड़बड़ी की अधर में लटकी जांच, जांच अधिकारी का तबादला
देहरादून। उत्तराखंड तकनीकी विश्विद्यालय सॉफ्टवेयर प्रकरण पर फिलहाल जांच लटकती हुई नजर आ रही है। मामला विश्वविद्यालय द्वारा करोड़ों रुपए के सॉफ्टवेयर विकास से जुड़ा है, जिसकी जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का तो गठन किया गया, लेकिन जांच शुरू होने के कुछ दिनों में ही जांच की कमान संभालने वाली अधिकारी का तबादला हो गया।
इसके बाद ये जांच फिलहाल आगे बढ़ती नजर नहीं आ रही है। उत्तराखंड में सॉफ्टवेयर के संचालन को लेकर करोड़ों रुपए खर्च करने का मामला सामने आया है। इसके बाद जांच के लिए जांच समिति गठित हुई, मगर अब जांच की गति धीमी नजर आने लगी है।
इसी महीने 5 मई को मामले की जांच के आदेश देते हुए पांच सदस्यीय कमेटी गठित किए जाने से जुड़ा निर्णय हुआ। जांच कमेटी को 15 दिन का वक्त भी दिया गया था।
हालांकि, जांच पूरी तरह से तकनीकी जानकारों की निगरानी में हो इसके लिए जांच कमेटी में ऐसे लोगों को शामिल किया गया था जो तकनीकी रूप से मजबूत हैं।
खास बात यह है कि, प्रकरण की जांच को लेकर पहली बैठक भी कर ली गई, जिसमें सभी दस्तावेज प्रस्तुत करने के निर्देश भी जारी किये गये। वहीं, इससे पहले की जांच आगे बढ़ती जांच करने वाली महिला आईएएस अधिकारी का ही तबादला कर दिया गया।
शासन ने जांच का आदेश करते समय पांच सदस्यों की जो समिति गठित की थी उसमें ईआरपी सॉफ्टवेयर के संचालन में टेंडर प्रक्रिया और वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए निदेशक ITDA नितिका खंडेलवाल को जिम्मेदारी सौंपी थी।
इसके अलावा इस समिति में राज्य सूचना विज्ञान अधिकारी SIC, वित्त अधिकारी ITDA, IIT रुड़की के प्रोफेसर और एक अन्य अधिकारी को नामित किया गया था।
एक तरफ जहां 5 मई को प्रकरण की जांच को लेकर जांच समिति बनाई गई। वहीं, 14 मई यानी 9 दिन बाद ही नितिका खंडेलवाल को निदेशक ITDA के पद से हटा दिया गया।
खास बात यह है कि उनके इस पद से हटने के बाद उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय की यह जांच भी प्रभावित होती हुई दिखाई दी। स्थिति यह है कि अब फिलहाल इस जांच को लेकर कोई अगली बैठक आहूत नहीं हो पाई है।
दरअसल, नितिका खंडेलवाल को यह जिम्मेदारी निदेशक ITDA के कारण दी गई थी। उन्हीं की अध्यक्षता में यह जांच भी होनी थी, लेकिन ट्रांसफर लिस्ट में यह जिम्मेदारी अब आईएएस अधिकारी गौरव कुमार को दे दी गई। इसके बाद यह जांच फिलहाल लटकती हुई दिखाई दे रही है।
मामले में गौरव कुमार को प्रकरण की शुरू से जानकारी लेनी होगी। वहीं इस पर जांच को आगे बढ़ाने में भी उन्हें काफी समय लगेगा। इसकी दूसरी वजह यह भी है कि उनके पास शहरी विकास जैसी दूसरी अहम जिम्मेदारियां भी हैं।
बहरहाल, IAS अधिकारी नितिका खंडेलवाल को हटाए जाने के पीछे कोई भी वजह रही हो लेकिन इसका सीधा असर इस जांच के समय पर पूरा न होने के रूप में तो देखा जा ही रहा है।
ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि जांच के लिए दिए गए 15 दिन का वक्त पूरा हो चुका है। अभी जांच ठीक से शुरू भी नहीं हो पाई है।