हाईकोर्ट में गढ़वाल कमिश्नर ने मानी गलती, MDDA को दिए सख्त निर्देश। पढ़ें….
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में ऋषिकेश में हो रहे अवैध निर्माण संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान पूर्व के आदेश पर आज कमिश्नर गढ़वाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए।
मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खण्डपीठ के सम्मुख उन्होंने स्वीकार किया कि उनके द्वारा कुछ लोगों की कम्पाउंडिंग गलत तरीके से हुई। उसे वे एक माह के भीतर दुरस्त कर देंगे।
इससे न्यायालय संतुष्ट हुई, लेकिन न्यायालय ने एम.डी.डी.ए. से कहा कि बिना नक्शे पास किये कम्पाउंडिंग नहीं की जा सकती। उसके लिए अनुमति लेकर उस जगह का सर्वे किया जाना आवश्यक है।
आफिस में बैठकर कम्पाउंडिंग नहीं की जा सकती और ये नियम विरुद्ध है। ऐसे ही कुछ मामलों को ठीक करने के लिए उन्हें एक माह का समय दिया गया है।
मामले के अनुसार, ऋषिकेश निवासी पंकज अग्रवाल व अन्य ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि देहरादून के ऋषिकेश में स्वीकृत मानचित्र के विपरीत, कुछ लोगों ने अवैध निर्माण किए हैं।
मंसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने इन अवैध निर्माणों को सील किया था, लेकिन कुछ समय बाद विकास प्राधिकरण के ए.ई.ने उक्त सीलिंग से प्रतिबंध हटाकर अवैध निर्माण को कम्पाउंड करते हुए मानचित्र स्वीकृत कर दिया।
याचिकाकर्ता का कहना है कि अवैध निर्माणों पर रोक लगाई जाए ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके। याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि अवैध निर्माण का कार्य ऋषिकेश में ही नहीं देहरादून और मंसूरी में भी चल रहा है।