यहां अर्थी पर जिंदा ही लेट गए गुरुजी, की यह अपील। देखें वीडियो….
देहरादून। उत्तराखंड के हल्द्वानी क्षेत्र में एक ऐसा अनोखा मामला सामने आया है, जिसे देखकर और सुनकर आपकी आंखें खुली रह जाएंगी। यहां एक पूर्व प्रोफेसर जिंदा ही अर्थी पर लेट गए।
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ऐसा किसी नाटक के लिए नहीं, बल्कि उन्होंने पर्यावरण बचाने के लिए किया। उन्होंने अर्थी पर लेटकर इलेक्ट्रिक शव दाह गृह का प्रयोग करने की भावुक अपील की।
दरअसल, वह जनता का ध्यान रानीबाग में करोड़ों रुपये की लागत से बने इलेक्ट्रिक शव दाह गृह के प्रयोग की तरफ दिलाना चाहते थे। ताकि मृतकों के स्वजनों की हिचक टूटे और पर्यावरण का ध्यान रखते हुए इस आवश्यक प्रयोग किया जा सके।
एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी के पूर्व प्रोफेसर संतोष मिश्रा अंगदान, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक कार्यों के लिए जाने जाते हैं। वह इस बात से व्यथित थे कि रानीबाग में इलेक्ट्रिक शव दाह गृह बनने के बाद भी लोग अंतिम संस्कार के लिए इसका प्रयोग नहीं कर रहे।
अभी भी शवों को जलाया जा रहा है। लिहाजा, उन्होंने अपनी अर्थी सजाई और उस पर लेटकर इलेक्ट्रिक शव दाह गृह के प्रयोग की अपील की।
रिटायर्ड प्रोफेसर संतोष मिश्रा ने कहा कि जंगलों पर दबाव वैसे ही बढ़ रहा है। इसके बाद भी शवों को जलाने के लिए लकड़ियों का प्रयोग किया जाएगा तो उससे पर्यावरण पर और अधिक दबाव बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि सिर्फ लावारिश शवों को जलाने के लिए इस गृह का प्रयोग किया जा रहा है।
हालांकि, अब बड़े शहरों में लोग परिजनों की मृत्यु पर इलेक्ट्रिक या गैस आधारित शव दाह गृहों का प्रयोग करने लगे हैं। यह प्रयास छोटे शहरों में भी किए जाने चाहिए। तभी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सुदृढ़ कदम बढ़ाए जा सकते हैं