मद्महेश्वर घाटी में आफत की बारिश। 7 मत्स्य पालन टैंक तबाह, खतरे की जद में कई परिवार
रुद्रप्रयाग। मद्महेश्वर घाटी में बारिश आफत बनकर बरसी है। जहां बारिश से ऊखीमठ-उनियाणा मोटर मार्ग पर भू धंसाव हो गया, जिससे 7 मत्स्य पालन टैंक मलबे की चपेट में आ गए।
मलबा आने करीब 23 लाख रुपए के नुकसान होने का अनुमान है। मत्स्य पालन टैंक के साथ काश्तकारों की फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। वहीं, 5 परिवारों के आवासीय भवन खतरे की जद में आ गए हैं।
ऊखीमठ-उनियाणा मोटर मार्ग पर भू धंसाव होने का कारण बरसाती पानी की निकासी न होना माना जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि मोटर मार्ग का बाकी हिस्सा और धंसता है तो उनियाणा-रांसी के बीच आवागमन बाधित हो सकता है।
इसके अलावा मोटर मार्ग पर भू धंसाव होने से 11 केवी विद्युत लाइन भी खतरे की जद में आ गई है। वहीं, राजस्व पुलिस, विद्युत विभाग और लोक निर्माण विभाग के अधिकारी क्षति का आकलन करने के लिए घटनास्थल पहुंच गए हैं।
उनियाणा के ग्राम प्रधान महावीर पंवार ने बताया कि मद्महेश्वर घाटी में बीती रात हुई मूसलाधार बारिश से ऊखीमठ-उनियाणा मोटर मार्ग पर ग्राम पंचायत उनियाणा के अरसनी तोक में सड़क का हिस्सा ढह गया है।
जिससे कुलदीप पंवार के (17 लाख), चंद्र प्रकाश पंवार (3 लाख) और योगेश पंवार (3 लाख) की लागत से बने मत्स्य पालन के टैंक मलबे में दब गए हैं, जबकि यशपाल पंवार के मत्स्य पालन टैंक में बरसाती पानी घुसने से एक लाख रुपए का नुकसान हुआ है।
उन्होंने बताया कि मोटर मार्ग के मलबे से काश्तकारों की फसलों और बागवानी को भारी नुकसान हुआ है। ग्रामीण राजपाल पंवार, धर्म सिंह, कुलदीप सिंह, गौरा देवी और चंद्र प्रकाश सिंह के आवासीय भवन खतरे की जद में आ गए हैं।
उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवारों के अनुसार मोटर मार्ग का बड़ा हिस्सा खिसकने का कारण बरसाती पानी से कटाव होना माना जा रहा है।
वहीं, कालीमठ जिला पंचायत सदस्य विनोद राणा ने बताया कि, सभी विभागों को घटना से अवगत कराया दिया गया है उन्होंने शासन-प्रशासन से पीड़ित काश्तकारों को उचित मुआवजा देने की मांग की है।
वहीं मोटर मार्ग के मलबे में मत्स्य पालन के टैंक तबाह होने से युवाओं के सामने आजीविका का संकट गहरा गया है।
माहेश्वरी मत्स्य जीवी सहकारी समिति लि. गडगू के अध्यक्ष कुंवर सिंह राणा ने बताया कि, उनियाणा के युवाओं ने चार साल पहले मत्स्य पालन का व्यवसाय शुरू किया था, लेकिन मलबे में मत्स्य पालन के टैंक दब गए हैं, जिससे उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।