बिग ब्रेकिंग: प्रेमी जोड़े के मर्डर कांड के मुख्य आरोपी समेत सभी आरोपी बरी। निचली अदालत में हुआ था यह…..

प्रेमी जोड़े के मर्डर कांड के मुख्य आरोपी समेत सभी आरोपी बरी। निचली अदालत में हुआ था यह…..

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने चकराता में वर्ष 2014 में हुए बहुचर्चित प्रेमी जोड़े हत्याकांड के मुख्य आरोपी राजू दास को निचली अदालत से फांसी के आदेश के खिलाफ मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद अभिलेखों में पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नहीं होने पर सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया है।

न्यायमुर्ति रविन्द्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने पिछले माह सुनवाई के बाद निर्णय को शुरक्षित रख लिया था। जिला एवं सत्र न्यायाधीश ढकरानी मोहम्मद सुल्तान की अदालत ने 27 मार्च 2018 को अपना निर्णय सुनाते हुए राजू दास को फांसी तो उसके बाकी तीन साथी कुंदन दास, गुड्डू और बबलू को उम्रकैद की सजा सुनवाई थी।

मामले के अनुसार कोलकाता निवासी अभिजीत पाल हाल निवासी नई दिल्ली और मोमिता दास 22 अक्तूबर 2014 को दिवाली से छुट्टियां मनाने देहरादून के चकराता आए थे। अगले दिन, टाइगर फॉल घूमने के बाद दोनों लापता हो गए।

मोमिता के घरवालों ने 23 अक्तूबर को उससे फोन से संपर्क किया तो नहीं हो सका। इसके बाद उन्होंने नई दिल्ली के लाडो सराय थाने में मोमिता की गुमशुदगी दर्ज की।

पुलिस जांच में मोमिता के फोन की आखिरी लोकेशन चकराता मिली और आई.ई.एम.आई.नंबर के आधार पर उसके मोबाइल में राजूदास के नाम का सिम भी ट्रेस हुआ। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने विकासनगर और चकराता पुलिस को साथ लेकर राजूदास को तलाशा।

पुलिस ने राजूदास की लाखामंडल, चकराता और टाइगर फॉल के आसपास तलाश की और बाद में राजूदास को जीप के साथ गिरफ्तार किया।

कड़ी पूछताछ के बाद राजूदास ने जुर्म में गुड्डू, बबलू और कुंदन दास के साथ प्रेमी जोड़े की हत्या कबूली। इसके बाद आरोपियों की निशानदेही पर मोमिता का फोन, पर्स और कपड़े पुलिस ने बरामद किए।

शवों की खोजबीन के दौरान नौगांव से दो किमी दूर यमुना नदी के तट से पुलिस को एक शव मिला जिसकी शिनाख्त परिजन जोयंता पाल ने अभिजीत के रूप में की। इसके 21 दिन बाद ही मोमिता दास का भी सड़ा गला शव डामटा के पास यमुना तात से बरामद हुआ।
निचली अदालत ने राजू दास को फांसी की सजा और उसके तीन अन्य साथी कुंदन दास, गुड्डू और बबलू को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस आदेश को अभियुक्तों ने उच्च न्यायलय में चुनौती दी थी।