सुप्रीम कोर्ट ने क्वेश किया हाईकोर्ट का आदेश। निर्माण की अनुमति पर रोक
नैनीताल। सुप्रीम कोर्ट ने भीमताल के जीलिंग स्टेट में हैलीपैड के साथ 90 एकड़ की लक्जरी टाउनशिप परियोजना के एक हिस्से में उच्च न्यायालय की निर्माण की अनुमति पर रोक लगा दी है। प्राचीन सदाबहार (एवरग्रीन) वन क्षेत्र में इस निर्माण के लिए कोई कानूनी मंजूरी नहीं थी।
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति बी.आर.गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने बीती 2 जनवरी को एक आदेश पारित कर उच्च न्यायालय के 5 अक्टूबर 2023 के आदेश को रद्द कर दिया है।
उच्च न्यायालय नैनीताल की एक जनहित याचिका में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता में वर्ष 2020 की WPPIL संख्या 44 में आदेश जारी कर भीमताल के जिलिंग स्टेट में हेलीपैड समेत 90 एकड़ की लक्जरी टाउनशिप परियोजना के निर्माण की अनुमति दे दी गई थी।
इससे नैनीताल जिले के जीलिंग एस्टेट में प्राचीन सदाबहार वन क्षेत्र के प्रभावित होने का खतरा बन गया था। उत्तराखंड राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एस.ई.आई.ए.ए.) के हलफनामे में कहा गया था कि संबंधित परियोजना को ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए और नुकसान के आंकलन के बाद निर्माण कर्ताओं पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
बावजूद इसके खंडपीठ ने निर्माण की अनुमाती जारी कर दी। वीरेंद्र सिंह ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका एस.एल.पी.(सी) दाखिल की।
पूर्व में हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने क्षेत्र के स्थानीय और भौतिक निरीक्षण करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक सेवानिवृत्त आई.एफ.एस.अधिकारी को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था।
आज सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के आदेश को क्वेश करते हुए निर्माण की अनुमाती पर रोक लगा दी है।