उत्तरायणी मेले की इन गतिविधियों पर हाईकोर्ट की रोक
नैनीताल। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने बागेश्वर के उत्तरायणी मेले की दुकानों का वेस्ट सरयू नदी में डाले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि, नदी किनारे प्रदूषित करने वाली व्यवसायिक गतिविधियां नहीं हों।
प्रशासन ने कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खण्डपीठ से कहा कि, मेले के दौरान नदी के किनारे व्यवसायिक गतिविधियां होती है, जिस पर रोक लगाई जा रही है।
मामले के अनुसार बागेश्वर निवासी पूरन सिंह रावत ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि, बागेश्वर में सरयू नदी के तट पर हर वर्ष उत्तरायणी मेला होता है। नगर पालिका परिषद और जिला प्रशासन इसका आयोजन करता है। नगर पालिका नदी किनारे दुकानें आवंटित करती है। इसमें खाने और मीट आदि की दुकानें भी शामिल हैं।
कहा गया कि, मीट की दुकानों का सारा वेस्ट सरयू नदी में डाला जा रहा है, जिससे कि नदी प्रदूषित हो रही है। जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि सरयू नदी के तट पर कई मंदिर भी हैं जिससे लोगो की धार्मिक भावनाओं को ठीक पहुंचती है।
इसको रोकने के लिए स्थानीय नागरिकों ने कई बार जिला प्रशासन और नगर पालिका को प्रत्यावेदन दिया, लेकिन उन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। जनहित याचिका में प्राथर्ना की गई है कि, इस पर रोक लगाई जाए, जिससे की नदी प्रदूषित न हो। मामले में याची की तरफ से अधिवक्ता दीप जोशी ने पैरवी की।