बिग ब्रेकिंग: हिंसक जानवर को मारने पर हाईकोर्ट की रोक। कहा….

हिंसक जानवर को मारने पर हाईकोर्ट की रोक

नैनीताल। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने भीमताल में हिंसक जानवर को मारने संबंधी आदेश का स्वतः संज्ञान लेते हुए विभाग के कदम पर सवाल खड़े करते हुए जानवर को मारने पर रोक लगा दी है।

न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने हमलावर हिंसक जानवर को रिलोकेट और ट्रेंकुलाइज कर रैस्क्यू सेंटर भेजने के साथ धारा 11ए में उसे मारने के आदेश पर गुरुवार तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।

भीमताल में दो महिलाओं को मारने वाले हिंसक जानवर को नरभक्षी घोषित करते हुए उसे मारने के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डेन के आदेश का स्वतः संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय की खंडपीठ में सुनवाई हुई।

इसमें सरकार की तरफ से चीफ स्टैंडिंग काउंसिल चंदशेखर सिंह रावत के साथ चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन धनंजय और डी.एफ.ओ.चंद्रशेखर जोशी उपस्थित हुए।

खंडपीठ ने वन अधिकारियों से गुलदार को मारने की अनुमाती देने के प्रोविजन के बारे में जानकारी ली तो वो ठीक से नहीं दे सके।

उन्होंने कहा कि वाइल्डलाइफ एक्ट में धारा 13ए में खूंखार हमलावर जानवर को मारने की अनुमाती दी जाती है जिसपर न्यायालय ने उनसे पूछा कि गुलदार था या बाघ था ? उसे मारने के बजाए रैस्क्यू सेंटर भेजा जाना चाहिए।

न्यायालय ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि हिंसक जानवर को मारने के लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डेन की संतुष्टि होनी जरूरी है नाकि किसी नेता का आंदोलन।

बताया कि धारा 11ए में तीन स्थितियों में किसी जानवर को मार सकते हैं। उसे पहले उस क्षेत्र से खदेड़ जाएगा, फिर ट्रेंक्यूलाइज कर रैस्क्यू सेंटर में रखा जाएगा और अंत मे मारने जैसा अंतिम कठोर कदम उठाया जाएगा।

कहा कि अखबारों को दिए बयान से ही आपके निर्णय लेने की श्रमता दिख रही है। भावुक होते हुए न्यायालय ने कहा कि घर का बच्चा अगर बिगड़ जाता है तो उसे मार थोड़े ही दिया जाता है।

न्यायालय ने कहा कि क्षेत्रवासियों के आंदोलन के बाद आपने मारने का निर्णय लिया है। आपने उसे रिलोकेट करने या ट्रेंक्यूलाइज करने की नीति ही नहीं बनाई है। हिंसक जानवर का शिकार तो अंतिम ऑप्शन है।

नियम 11 कहता है कि जब हिंसक जानवर रिलोकेट, ट्रेंक्यूलाइज नहीं होता और वाइल्ड लाइफ वार्डेन उसे मारने के लिए संतुष्ट होते हैं तभी वो अंतिम विकल्प के रूप में उसे मारने की अनुमाती देते हैं।

न्यायालय ने नाराज होते हुए सी.एस.सी.से कहा कि वन विभाग के अधिकारी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं और ये चिंता की बात है कि वो जानवरों की पोचिंग में भी शामिल हो सकते हैं ? न्यायालय ने कहा कि 11ए में आप ये आदेश कहाँ से लाए ये बताएं, नहीं तो रिटायर होने से पहले ज्युडिशियल आदेश से सस्पेंड कर दिए जाएंगे।

वन अधिकारियों ने न्यायालय को बताया कि पैरों और लोगों के चिन्हीकरण से हिंसक जानवर बाघ लग रहा है। वहां 36 कैमरा ट्रैप और 5 पिंजरे लगाए गए हैं। न्यायालय ने सुनवाई अब गुरुवार के लिए रख दी है।

हिंसक जानवर के शिकार पर रोक लगाते हुए न्यायालय ने कहा कि अगर वो मनुष्य के लिए खतरनाक है तो उसे ट्रंक्यूलाइज करें, रिलोकेट करें या अंतिम विकल्प के रूप में वाइल्डलाइफ वार्डेन के कहने पर ही उसका शिकार करें।