चारधाम यात्रा 2023: चुनौतियां और सरकार के इंतजाम। सुगम और सुरक्षित चारधाम यात्रा की चुनौती
चारधाम यात्रा 2023: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का विधिवत आगाज हो चुका है। हर साल की तरह इस साल भी यात्रा को सुरक्षित, सुगम और व्यवस्थित बनाने के लिए राज्य सरकार पर जबर्दस्त दबाव है। प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि इस बार पिछले साल की तुलना में अधिक तीर्थयात्री आएंगे।
चारधाम में पिछले वर्ष लगभग 45 लाख श्रद्धालु दर्शन किये थे। कोरोना काल के बाद यह एक बड़ा रिकार्ड रहा है। हालांकि पिछले साल धामों में भीड़ प्रबंधन का सवाल भी चुनौती रहा। यात्रा से ठीक पहले कोविड 19 महामारी के बढ़ते मामलों से सरकार चौकन्नी है।
सरकार के लिए चुनौती वाली बात इसलिए भी है कि पिछले साल की तुलना में इस बार बड़ी संख्या में श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आ रहे हैं। इसका तस्दीक चारधाम यात्रा के पोर्टल पर यात्रियों के पंजीकरण से हो रहा है। भीड़ प्रबंधन, परिवहन, पार्किंग से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था बनाने के लिए सरकार को विशेष प्रबंधन करने पड़ रहे हैं।
शासन-प्रशासन चारधाम यात्रा की तैयारियों में जुटे हुए है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि इस बार चारधाम में पिछले वर्ष के मुकाबले में अधिक तीर्थयात्री आने की संभावनाएं है।
यानी सरकार का फोकस है कि, चारधाम यात्रा में अधिक से अधिक तीर्थयात्री आएं। पिछले साल लगभग 45 लाख तीर्थयात्रियों ने चारधाम यात्रा की सरकार को उम्मीद है कि इस बार यह आंकड़ा पार हो जाएगा।
चारधाम के लिए इस बार पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है हालांकि स्थानीय लोगों के लिए पंजीकरण से छूट दी गयी है। अब तक चारधाम यात्रा के लिए दस लाख से भी अधिक तीर्थयात्रियों ने पंजीकरण करा लिया है। चारधाम यात्रा के लिए प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है। सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक लोग देवभूमि आए लेकिन चारधामों में व्यवस्थाएं लचर होती हैं।
धामों की संवहन क्षमता के हिसाब से यात्रियों को भेजे जाने की व्यवस्था होनी चाहिए थी। पिछले साल केदारनाथ में अत्याधिक भीड़ हो गयी थी। ऐसे में सभी व्यवस्थाएं चरमरा जाती हैं। इसके अलावा धामों में स्वास्थ्य जांच की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। पिछले साल चारधाम यात्रा में 311 तीर्थयात्रियों की मौत हो गयी थी।
अधिकांश की मौत हार्ट अटैक से हुई। हालांकि इस बार सरकार का दावा है कि यात्रा मार्ग पर हेल्थ एटीएम भी होंगे और मरीजों को एयरएंबुलेंस के जरिए भी सहायता दी जाएगी। लेकिन एयर एम्बुलेंस कितनी और कब उपलब्ध होगी, यह बड़ा सवाल है।
चारधाम यात्रा मार्ग पर भूस्खलन चुनौती है। जब से चारधाम यात्रा मार्ग को महामार्ग में बदलने के लिए कार्य हो रहा है तो यहां डेंजर जोन की संख्या कई गुणा बढ़ गया है। इस बार तो जोशीमठ का एक बड़ा सवाल है। वहां से बदरीनाथ जाने वाली सड़क पर दरारें हैं।
जिला प्रशासन और सरकार का दावा है कि वह दरारे साधारण है और इससे यात्रा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। चारधाम यात्रा के दौरान शौचालय समेत बुनियादी सुविधाओं की कमी भी हर बार चुनौती के तौर पर आती है। इसके अलावा धामों में पालीथीन का प्रयोग भी किसी चुनौती से कम नहीं है।
केदारनाथ मंदिर के साथ ही सैकड़ों टन सालिड वेस्ट पड़ा रहता है। बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों के वहां पहुंचने पर इसमें बढ़ोतरी ही होगी। यह चुनौती भी है कि हिमालयी पर्यावरण को सुरक्षित रखा जाए। बीकेटीसी के भीड़ प्रबंधन और वीवीआईपी कल्चर के लिए किये गये प्रावधान जरूर कुछ राहत देते हैं।
इसके बावजूद चारधाम यात्रा की चुनौतियां बरकरार हैं। इस बीच तमाम चुनौतियों के बावजूद चारधाम यात्रा की तैयारियां तेज हो गयी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए सभी प्रयास किये जा रहे हैं।
उनका दावा है कि इस बार तीर्थयात्रियों को किसी भी समस्या का सामना नहीं करना होगा। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने भी कहा है कि दोनों धामों में बेहतर सुविधाएं जुटाई गयी हैं ताकि तीर्थयात्रियों को किसी तरह की मुश्किलों का सामना न करना पड़े।
वहीं केदारनाथ धाम में आगामी यात्राकाल के प्रारम्भ में 700 किग्रा का अष्टधातु का त्रिशूल स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही मंदिर मक्कूमठ के जीर्ण-शीर्ण सभा मंडप का जीर्णाेद्वार भी किया जाएगा।
अध्ययन दल की संस्तुतियों पर होगा अमल
बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि धामों में बेहतर सुविधाएं और भीड़ प्रबंधन को लेकर फरवरी माह में देश के चार बड़े मंदिरों में चार अलग-अलग दल श्भेजे गये थे। इन दलों ने वहां के मंदिरों में अपनानी जाने वाली व्यवस्थाओं का अध्ययन किया।
अध्ययन दल ने जो संस्तुतियां दी हैं, उन पर अमल किया जा रहा है। ताकि तीर्थयात्रियों को अच्छी और बेहतरीन सुविधाएं दी जा सकें। उन्होंने बताया कि वीआईपी दर्शन वालों से 300 रुपये दर्शन के लिए जाएंगे। मंदिर में दान की गिनती में कोई गड़बड़ी न हो तो इसके लिए ग्लास हट बनाए जाएंगे ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
कैमरे भी लगाए जाएंगे ताकि मानीटरिंग हो सके। उन्होंने कहा कि जो भी अच्छे सुझाव है सीसीटीवी उन पर अमल किया जाएगा ताकि तीर्थयात्रियों को किसी तरह की असुविधा न हो।
दर्शन के समय का स्लाट दिया जाएगा
बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र ने बताया कि मंदिर समिति मंदिर में दर्शनों और मंदिर परिसर में व्यवस्था के लिए ही जिम्मेदार है। भीड़ प्रबंधन के लिए स्थानीय प्रशासन और पर्यटन विभाग तैयारी कर रहे हैं।
इसके तहत पंजीकरण के आधार पर श्रद्धालुओं का दर्शन करने के समय का स्लाट दिया जाएगा। धामों में जाने से पहले श्रद्धालुओं के पंजीकरण का सत्यापन किया जाएगा।
केदारनाथ धाम के पंजीकृत श्रद्धालुओं के पंजीकरण का सत्यापन सोनप्रयाग में होगा। जबकि बदरीनाथ के लिए पांडुकेश्वर, गंगोत्री के लिए हिना व यमुनोत्री के लिए बड़कोट में सत्यापन किया जाएगा।
इसके बाद ही दर्शन के लिए टोकन दिया जाएगा। केदारनाथ, बदरीनाथ व गंगोत्री जाने वाले श्रद्धालुओं को धामों में टोकन मिलेगा। जबकि यमुनोत्री के लिए श्रद्धालुओं को जानकी चट्टी में टोकन प्राप्त होगा।
वोकल फॉर लोकल
बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कहना है कि इस बार यह प्रयास किया जा रहा है कि बदरीनाथ-केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए आने वाले यात्रियों के लिए वादगार के लिए धामों से संबंधित कोई सोविनियर यानी स्मृति चिन्ह भी तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि प्रसाद योजना को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो आवहान किया है कि अपनी यात्रा खर्च का कुछ तिशत स्थानीय उत्पादों पर भी किया जाए, उसके अनुसार वोकल फॉर लोकल को भी मिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों और प्रसाद को बढ़ावा देने के पास किये जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि मंदिर समिति के अग्रिम दल 15 मार्च को ही बदरीनाथ और दारनाथ पहुंच चुके हैं। यह दल वहां की व्यवस्थाओं को देख रहे हैं। मंदिर में यदि कोई उम्मत कार्य किया जाना है तो यह दल उसकी व्यवस्था कर रहा है साथ ही वहां के दर्यीकरण का कार्य भी देख रहा है।
दल ने हमें इस संबंध में रिपोर्ट दे दी है। उन्होंने कहा कि मौसम की खराबी कुछ दिक्कत पैदा कर रहा है लेकिन धामों में सभी व्यवस्थाएं पूरी तरह से चाक-चौबंद हैं।
विशेष दर्शनों के लिए 300 रूपये का शुल्क
बीकेटीसी ने पिछले दिनों देश के चार प्रमुख मंदिरों से तिरुपति बाला जी, श्री वैष्णो देवी, श्री महाकालेश्वर व श्री सोमनाथ मंदिरों में पूजा, दर्शन आदि व्यवस्थाओं के प्रबंधन के अध्ययन के लिए चार दल भेजे थे।
उनकी रिपोर्ट की संस्तुतियों के आधार पर बीकेटीसी ने श्री बदरीनाथ व श्री केदारनाथ मंदिरों के दर्शनों के लिए आने वाले सभी तरह के वीआईपी से विशेष दर्शनों व प्रसाद के लिए प्रति व्यक्ति तीन सौ रूपये का शुल्क निर्धारित किया है।
प्रोटोकल की व्यवस्था प्रोटोकल के तहत दर्शनों के लिए आने वाले वीआईपी आदि को बीकेटीसी के कार्मिक ही मंदिरों में दर्शन कराने और प्रसाद वितरण की जिम्मेदारी संभालेंगे। इससे वीआईपी सुविधा के नाम पर अव्यवस्था पैदा नहीं होगी। अभी तक वीआईपी को दर्शन कराने के लिए पुलिस, प्रशासन, बीकेटीसी आदि अपने अपने तरीके से दर्शन – व्यवस्था संभालते हैं।
बीकेटीसी के कार्मिक नहीं लेंगे दान-दक्षिणा
श्रद्धालु मंदिर के लिए जो भी दान अथवा चढ़ावा देते हैं, उसे बीकेटीसी के वेतनधारी पुजारी और कर्मचारी ग्रहण नहीं करेंगे। पूजा व्यवस्था से जुड़े कार्मिक श्रद्धालुओं को दान-चढ़ावे को दान पात्र में डालने को प्रेरित करेंगे। अन्यथा कार्मिकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
सूचना प्रौद्योगिकी इकाई की स्थापना बीकेटीसी में आइटी संबंधी कार्यों को मजबूती देने के लिए स्वयं की सूचना प्रौद्योगिकी इकाई गठित जाएगी। इससे ई-आफिस की स्थापना, विभिन्न अनुभागों को कम्प्यूटरीत करने आदि में आसानी होगी।
विद्यापीठ में तैयार होंगे आयुर्वेदिक उत्पाद
बीकेटीसी ने विद्यापीठ (गुप्तकाशी) में वर्तमान में बंद पड़ी को फिर से शुरू कर उत्पाद तैयार करने का निर्णय लिया है। इससे द्वारा संचालित आयुर्वेदिक कालेज के छात्रों को प्रैक्टिकल की सुविधा भी हो बैठक में अव अजेंद्र अजय के अलावा उपाध्यक्ष किशोर पर सदस्य पोस्ती, पं. राम सेमवाल, वीरेंद्र असवाल, राजपाल जड़दारी, भास्कर डिम् डिमरी, जय प्रकाश उनियाल, पुष्कर जोशी, मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्रसिंह कार्याधिकारी रमेश रावत, अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी कार्याधिकारी तिवारी आदि उपस्थित थे।
सुगम और सुरक्षित यात्रा को लेकर गंभीर-सतपाल महाराज
इस साल बड़ी संख्या में यात्री जुटेंगे, इसे देखते हुए हमारी सरकार ने पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। केंद्र सरकार ने भी हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। पर्यटन और तीर्थाटन कारोबार भी चले और यात्रियों व पर्यटकों की यात्रा भी सुगम और सुरक्षित हो, इसके लिए लगातार सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं।
पर्यटन मंत्री महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देशन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चारों धामों के विकास के लिए हम और बद्रीनाथ धाम को एक स्मार्ट स्प्रिचुअल हिल टाउन के रूप में विकसित किए का सरकार चरणबद्ध रूप से कार्य कर रही है। पर्यटन के विकास के लिए कनेक् बेहतर बनाने पर तेजी से काम कर रहे हैं। हवाई सेवाओं का भी विस्तार किया जा रहा है।
गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तथा सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे परियोजना को विकसित करने की कार्रवाई भी प्रारंभ कर दी गई है। दोनों रोपवे परियोजनाओं को 3 वर्ष में पूर्ण किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। हाल ही में प्रदेश सरकार ने खरसाली से यमुनोत्री तक 166 करोड़ से भी अधिक धनराशि से बनने वाने रोपवे परियोजना को मंजूरी दी है।
सभी तीर्थयात्रियों को करायेंगे दर्शन- पुष्कर सिंह धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा राज्य में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को यात्रा में दर्शन कराए जाएंगे। आपको बता दें कि कि जिन व्यक्तियों ने यात्रा के दृष्टिगत होटल व होम स्टे में बुकिंग करा ली है, उनके लिए भी दर्शन की व्यवस्था करने के उन्होंने निर्देश दिए।
साथ ही चारधाम वाले तीन जिलों के स्थानीय निवासियों के लिए पंजीकरण की अनिवार्यता को खत्म करने को आदेश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा के लिए यात्रा मार्गों व पड़ावों में यात्रा मित्रों की तैनाती की जा सकती है।
यात्रा मित्र के तौर पर स्थानीय व्यक्तियों को रखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यात्रा के लिए जिन विभागों के कार्मिकों की ड्यूटी लगाई जाती है, उनमें पहले स्वेच्छा से जाने वालों को प्राथमिकता दिए जाने के आधार पर कार्य किया जाए।
कोविड एसओपी लागू कराने की चुनौती
उत्तराखंड कोविड संक्रमण की दर 10 फीसदी अधिक हो चुकी है। पिछले तीन दिन में 298 नए संक्रमित मिले हैं और तीन लोगों की मौत हो चुकी है। ज्यादा मामले देहरादून जिले से हैं।
सुकून की बात यह है कि पर्वतीय जिलों में संक्रमण के मामले अभी कम है। स्वास्थ्य विभाग नजर बनाए हुए हैं। यदि मामले ज्यादा बढ़ते हैं तो विभाग चारधाम यात्रा के लिए अलग से एसओपी जारी करेगा।
पार्किंग और ट्रैफिक की समस्या
चारधाम यात्रा की दूसरी सबसे चुनौती पार्किंग और ट्रैफिक जाम से निपटने की है। ऋषिकेश से लेकर चार धाम में वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी होती है। प्रशासन ने जाम वाले स्थानों को चिन्हित किया है।
ऐसे क्षेत्रों में वैकल्पिक मार्ग तैयार किए गए हैं। जाम की स्थिति में ट्रैफिक को इन रास्तों से निकाला जाएगा। पर्वतीय क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को पार्किंग के लिए प्रोत्साहित किया गया है। खाली सरकारी भूमि व मैदानों को पार्किंग के लिए प्रयोग किया जाएगा।
भीड़ प्रबंधन की चुनौती
यात्रा के शुरुआती स्थल हरिद्वार और ऋषिकेश से ही यात्रियों की भीड़ जुटनी शुरू हो जाएगी। इस बार रिकार्ड यात्री आने वाले हैं। यात्रा शुरू होने से पहले ही 14.50 लाख श्रद्धालुओं ने पंजीकरण करा दिया है। धामों पर भीड़ को नियंत्रित करना आसान नहीं होगा।
सरकार ने धामों के लिए ऑनलाइन और ऑफ लाइन पंजीकरण की अनिवार्यता की है। स्थानीय लोगों को इससे छूट दी गई है। प्रतिदिन संख्या के हिसाब पंजीकरण किए जा रहे हैं। परिस्थिति के अनुरूप धामों में यात्रियों को दर्शन के लिए भेजा जाएगा ताकि भीड़ का प्रबंधन हो सके।
स्वास्थ्य और स्वच्छता की चुनौती
यात्रा के दौरान प्लास्टिक व अन्य कचरा निपटान एक बड़ी चुनौती होगी। उच्च हिमालयी क्षेत्र होने के कारण कई श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। पिछले साल यात्रा के दौरान केदारनाथ, यमुनोत्री व बदरीनाथ 350 लोगों की हार्ट अटैक से मौत गई थी।
केंद्र से लेकर राज्य सरकार ने इस बार स्वास्थ्य सेवाओं के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। चारों धामों पर डॉक्टरों की टीम तैनात की गई है। यात्रा सीजन के दौरान सेवाएं देने वाले डाक्टरों और मेडिकल स्टॉफ को प्रोत्साहन भत्ता दिया जाएगा।
चारधाम यात्रा
- गंगोत्री- 22 अप्रैल
- यमुनोत्री 22 अप्रैल
- केदारनाथ- 25 अप्रैल
- बदरीनाथ- 27 अप्रैल