आदेश के बावजूद IFS भरतरी की नहीं हुई बहाली। मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव वन और विनोद सिंघल को नोटिस जारी
उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने वरिष्ठ.एफ.एस.राजीव भरतरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव वन और विनोद सिंघल को नोटिस जारी किया है।
खंडपीठ ने उनसे पूछा है कि, कैट का निर्णय, भरतरी के पक्ष में आने के बाद भी उनकी विभागाअध्यक्ष पद पर बहाली क्यों नहीं की गई है ?
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी को सुनने के बाद प्रतिवादियों को दस दिन का समय देते हुए, मामले को सुनवाई के लिए 3 अप्रैल की तिथि तय की गई है।
अधिवक्ता अभिजय नेगी के अनुसार राजीव भरतरी को वन विभाग के विभागाध्यक्ष के पद से नवंबर 2021 को ग्यारा महीने के कार्यकाल के बाद तत्कालीन मंत्री हरक सिंह रावत द्वारा हटा दिया गया था।
भरतरी ने कॉर्बेट में हो रहे अवैध निर्माण पर दोषी अफसरों के खिलाफ कार्यवाही करने की कोशिश की थी, जिसको तत्कालीन वन मंत्री ने पसंद नही किया था।
हटाए जाने के बाद, सरकार ने कहा था कि भरतरी ने कॉर्बेट में हुई अवैध गतिविधियों पर उचित कार्यवाही नहीं कि, बल्कि भरतरी ने यह कहा कि उचित कार्यवाही करने की वजह से ही उन्हें पद से हटाया गया।
मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद, कैट इलाहाबाद ने 24 फरवरी 2023 को अपने आदेश में कहा की भरतरी के साथ अन्याय हुआ है और उनकी पद पर तत्काल बहाली होनी चाहिए।
कैट ने यह भी कहा की स्थानांतरण आदेश के समय भरतरी का पूरा वन विभाग का करियर बेदाग रहा।
साथ ही साथ, उनके स्थान पर वन विभाग के विभागाध्यक्ष बनाए गए उनके कनिष्ठ अधिकारी, विनोद सिंघल के तर्कों को भी कैट ने नकार दिया था।
इस आदेश के बाद, भरतरी को सरकार ने एक चार्ज-शीट सौंप दी। उनकी बहाली के आदेश नही किए गए।