उत्तराखण्ड में यहां कल धारा 144 होगी लागू। जानिए कारण
हल्द्वानी। परगना मजिस्टेट मनीष कुमार ने बताया कि, उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग हरिद्वार द्वारा आयोजित उपनिरीक्षक (पटवारी/लेखपाल) परीक्षा-2022 दिनांक 8 जनवरी (रविवार) को हल्द्वानी के विभिन्न परीक्षा केन्द्रों में आयोजित की जायेगी।
उन्होंने कहा कि, परीक्षा प्रारम्भ होने से परीक्षा समाप्ति तक परगना हल्द्वानी के समस्त परीक्षा केन्द्रों में चारों तरफ 200 गज की परिधि में तत्काल प्रभाव से धारा 144 लागू की जाती है।
परीक्षा के सुचारू एवं सफल सम्पादन हेतु प्राप्त सूचनाओं के आधार पर इस सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि समाज के अवांछनीय तत्व परीक्षा के दौरान अशान्ति एवं अव्यवस्थायें फैलाने का प्रयास कर सकते हैं।
परगना मजिस्टेट कुमार ने कहा कि शान्ति एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने हेतु परीक्षा केन्द्रों के 100 गज के भीतर उक्त अवधि में जिला मजिस्ट्रेट, अपर जिला मजिस्टेªट अथवा अन्य सम्बन्धित सैक्टर मजिस्ट्रेट की पूवार्वनुमति के बिना पांच या पांच से अधिक व्यक्ति समूह के रूप में एकत्रित नहीं होंगे।
कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार शस्त्र, लाठी, डन्डा, बल्लभ आदि लेकर परीक्षा स्थल अथवा उसके 200 गज की परिधि में नहीं आयेगा, कोई भी व्यक्ति परीक्षा स्थल के 200 गज की परिधि के अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति फोटेस्टेट मशीन/फैक्स नहीं लगायेगा।
कोई भी व्यक्ति परीक्षा स्थल के आस-पास ध्वनि विस्तारक यन्त्रों का प्रयोग नहीं करेगा, कोई भी व्यक्ति किसी प्रकार की अफवाहें नहीं फैलायेगा तथा न ही परीक्षा स्थलों के पास किसी प्रकार के परचों आदि का वितरण करेगा।
कोई भी व्यक्ति परीक्षा स्थलों पर नकल आदि कराने का प्रयास नही करेगा तथा कोई भी व्यक्ति परीक्षा स्थलों के पास ड्रोन कैमरे आदि का संचालन नही करेगा।
साथ ही कोई भी व्यक्ति परीक्षाओं में व्यवधान पैदा करने संबंधी कोई कृत्य नहीं करेगा।कोई भी परीक्षा केन्द्र के अन्दर पाठ्य सामग्री नही जायेगा साथ ही शादी विवाह, धार्मिक अनुष्ठान एवं परीक्षा ड्यूटी पर तैनात कर्मियों पर उपरोक्त प्रतिबंध लागू नही होंगे।
आपको बता दें नैनीताल जिले में कुल 66 परीक्षा केंद्र है जिसमे से 59 केन्द्र हल्द्वानी व 07 केन्द्र रामनगर में है। कुल 22841 परीक्षार्थी है।
परगना मजिस्टेट ने कहा है कि, उक्त आदेश 8 जनवरी रविवार को परीक्षा की समाप्ति तक लागू रहेंगे। आदेश का किसी भी प्रकार का उल्लघंन भारतीय दण्ड संहिता की धारा-188 के अन्तर्गत दण्डनीय है।