महार रेजीमेंट के सैन्य अधिकारियों एवं जवानों से मिले मुख्यमंत्री। बोले, सेना हमारी रक्षक, हमारा मस्तक
– महार रेजिमेंट के वॉर मेमोरियल में दी शहीदों को श्रद्धांजलि
– महार रेजीमेंट सेंटर में वृक्षारोपण कर स्वर्गीय पिता को किया याद, भावुक हुए मुख्यमंत्री
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मध्य प्रदेश स्थित सागर में महार रेजिमेंट में आयोजित सैनिक सम्मेलन में प्रतिभाग किया। सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल्यकाल में जब वे अपने (स्वर्गीय) पिताजी से महार रेजिमेंट के वीर सैनिकों की शौर्यगाथाओं के बारे में सुनते थे तो मन में उत्साह और उमंग की भावना हिलोरे लेने लगती थी।
उन्होंने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे आप सभी वीर सैनिकों के बीच आने का सुअवसर प्राप्त हुआ है। इससे पूर्व वह यहां एक बालक के रूप में आये थे जिसके लिए ये पूरा परिवेश किसी स्वप्नलोक से कम नहीं था। बाल्यकाल में जिस दिन वह, सागर आये वो उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक दिन था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां एक ओर हमारी यह रेजिमेंट विविधता में एकता की भावना का बोध कराती है वहीं इसका प्रत्येक सैनिक भारत की महान संस्कृति व गौरवशाली सैन्य परंपरा का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी है। आज आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सेना के मान और सम्मान बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि आज हमारे वीर सैनिक दुश्मन को उसके घर में घुस कर जवाब दे रहे हैं। जब भी दुश्मन ने ललकारा है भारत ने उसे मुंह तोड़ जवाब देते हुए दिखा दिया है कि उसके पास ताकत भी है और उचित जवाब देने की राजनीतिक इच्छाशक्ति भी है। भारत वैश्विक मंचों पर पूरी दृढ़ता और अपने हितों को सर्वोपरि रखते हुए अपनी बात रख रहा है।
आज दुनिया ये जान रही है, समझ रही है कि यह देश अपने हितों से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करने वाला है। आज सेना के आधुनिकीकरण को भी एक नया आयाम दिया जा रहा है और डिफेंस सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अभूतपूर्व कार्य किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन और उनके द्वारा सैनिकों को दिए जा रहे प्रोत्साहन के कारण ही आज हमारी सेना पहले से कई गुना अधिक सशक्त है और सीमाएं पहले से कहीं अधिक सुरक्षित हैं। सैनिकों द्वारा किए जाने वाले त्याग और उनकी राष्ट्र सेवा के ऋण को हम कभी नहीं चुका सकते।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सागर मध्य प्रदेश के सदर कैंट में महार रेजीमेंट के कार्यक्रमों में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने महार रेजिमेंट के वॉर मेमोरियल में शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने वार मेमोरियल का अवलोकन किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री महार रेजीमेंट के सैन्य अधिकारियों एवं जवानों से भी मिले। मुख्यमंत्री ने महार रेजीमेंट सेंटर में वृक्षारोपण कर स्वर्गीय पिता को याद कर, भावुक हुए। पिता स्व. शेर सिंह धामी महार रेजीमेंट में दे चुके हैं देश को अपनी सेवाएं। उन्होंने कहा कि सेना हमारी रक्षक, हमारा मस्तकः,
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज वह सेना में तो नही हैं परन्तु वीर सैनिकों को अपना आदर्श मानकर राष्ट्र सेवा में अपना यथासंभव योगदान देने की पूरी कोशिश कर रहें हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना के सैन्य कौशल और पराक्रम का इतिहास महार रेजिमेंट के बिना पूर्ण नहीं हो सकता। देश की पहली मशीनगन रेजीमेंट होने के साथ साथ देश को दो सेना प्रमुख देने का गौरव भी इस रेजिमेंट के साथ जुड़ा हुआ है।
सीमाओं की सुरक्षा करने से लेकर युद्ध के मैदान तक महार रेजिमेंट का एक-एक सैनिक अपना सर्वोच्च बलिदान देने के लिए हमेशा तत्पर रहा है। 1962 का युद्ध हो या 1971 का… हमारे वीर जवानों ने हमेशा अपनी वीरता का परिचय देते हुए दुश्मन को मात दी है।
मुख्यमंत्री ने ‘ऑपरेशन पवन’ के नायक रहे महार रेजिमेंट के अमर शहीद मेजर रामास्वामी परमेश्वरन तथा देश के भीतर आतंकियों से लोहा लेते हुए अमर बलिदान देने वाले सूबेदार मेजर सुरेश चंद यादव को नमन करते हुए कहा कि, महार रेजिमेंट में ऐसे वीरों की लंबी श्रृंखला है, जिन्होंने मां भारती के यश को अक्षुण्ण रखने हेतु अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया और तिरंगे की आन-बान और शान को फीका नहीं पड़ने दिया।
उन्होंने कहा कि हमारे प्रत्येक सैनिक की वीरता, साहस और बलिदान पर हर एक नागरिक को गर्व है। आप सभी हमारे आदर्श हैं और आपकी वीरता,साहस और अपराजेयता पर इस राष्ट्र को अभिमान है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक आप सभी हैं, आपका ये हौंसला है, आपका ये त्याग और तपस्या है। कोई मां भारती के गौरव को हानि नहीं पहुंचा सकता। आप वीरों की कीर्ति गाथा के बारे में जितना भी बोलूं वो कम होगा।
उन्होंने कहा कि आज के इस अवसर पर सभी वीर शहीदों के माता पिताओं को भी वह प्रणाम करते हैं जिन्होंने ऐसे वीर योद्धाओं को जन्म दिया और उनका पालन पोषण किया साथ ही वह उन सभी सैन्य परिवारों को भी नमन करते हैं, जिन्होंने स्वयं से पहले राष्ट्र सेवा को स्थान दिया।