यहां श्री प्राचीन सिद्धेश्वर शिव मंदिर में अवैध निर्माण को लेकर भिड़े दो पक्ष
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। जगजीतपुर स्थित श्री प्राचीन सिद्धेश्वर शिव मंदिर की भूमि पर कब्जा करने का मामला गरमाया हुआ है। इसमें दो पक्ष आमने-सामने आ गए हैं। एक पक्ष का आरोप है कि, व्यवस्था के बहाने मंदिर की भूमि पर दुकानें बनाने का कार्य किया जा रहा है, जो बिल्कुल ही अनैतिक है।
इनका दावा है कि, इस कार्य को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पूरा गांव इस मामले पर उनके साथ है तो वहीं दूसरे पक्ष दावा कर रहा है कि, उनका परिवार लगभग 60 वर्षों से मंदिर की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाता आ रहा हैं, उनके द्वारा कब्जा नहीं किया जा रहा है।
मंदिर की भूमि पर अवैध तरीके से कब्जा करने का आरोप लगाने वाले पक्ष का कहना है कि, कुछ लोग मंदिर को अपना निजी बता रहे हैं। यह बिल्कुल ही गलत है, यह मंदिर बंजर भूमि पर बना है, इसका खसरा नंबर 425 है यह राजस्व अभिलेखों में भी दर्ज है।
इसके सारे सबूत हमारे पास है, जो कागज मंदिर की भूमि को अपना बताने वाले दिखा रहे हैं, वह गलत है। इसके साथ ही उनके द्वारा यहां पर अवैध तरीके से दुकानों का निर्माण करवाने का कार्य शुरू किया गया था, जिसको गांव के लोगों ने रुकवा दिया। क्योंकि गांव में सभी समाज के लोग रहते हैं, इसलिए सभी की रजामंदी के बाद ही कार्य किया जाए।
वही मंदिर की व्यवस्था की देख-रेख करने वाली रजनी वालिया का कहना है कि, लगभग 60 वर्षों से उनका परिवार मंदिर की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाते आ रहे हैं। उनके पिता स्वर्गीय चौधरी उमराव सिंह को ब्रह्मलीन महंत हरदेव पुरी महाराज ने मंदिर की व्यवस्था हेतु तत्कालीन समय एक प्रतिज्ञा पत्र प्रदान किया था, जिसके अनुसार वह और उनका परिवार उस समय से ही मंदिर की व्यवस्था का पालन कर रहे हैं।
समय-समय पर मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य भी किया जाता है। अभी कुछ समय पहले ही मंदिर की उत्तम व्यवस्था और पुजारी के रहने के लिए धर्मशाला का निर्माण किया जा रहा था कि, तभी गांव के ही कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा इसका विरोध किया जाने लगा और पुजारी को धमकी देकर वहां से भगाया जा रहा है।
साथ ही उनको भी वह सामाजिक तत्व लगातार धमकी दे रहे हैं। इनका कहना है कि, वह विश्वास दिलाते हैं मंदिर की भूमि पर किसी भी प्रकार का कोई निजी निर्माण नहीं किया जाएगा और ना ही ऐसा कोई अनैतिक कार्य किया जाएगा, जिससे समाज अथवा ग्राम की छवि खराब हो।