एक्सक्लूसिव: स्वास्थ्य अधिकारियों के आंचल में फल फूल रहे फर्जी अस्पताल

स्वास्थ्य अधिकारियों के आंचल में फल फूल रहे फर्जी अस्पताल

– स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी बन रही मरीजों की जान का खतरा

रिपोर्ट- सलमान मलिक
रुड़की। कोरोना काल की पहली लहर व दूसरी लहर में बिना अनुमति के कोरोना मरीजो को इलाज के नाम पर खूब लूटा गया है। जिनमे कुछ अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग का डंडा भी चला है, जिन्हें सील कर दिया गया था पर कुछ अस्पताल क्लिनिक अभी भी ऐसे हैं, जिनमे झोलाछाप डॉक्टर डिग्री वाले डॉक्टरों की डिग्री लगाकर कुर्सी पर बैठकर मरीजो की जिंदगी से खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं।

जिन पर स्वास्थ्य विभाग की नजरे करम बनी हुई है, लगातार बढ़ती अस्पतालों की बाढ़ आखिर क्या संदेश दे रही है। इसे सभी भली-भांति जानते हैं, फर्जी अस्पतालों को आखिर कौन संरक्षण दे रहा है। इसका अभी कोई खुलासा नहीं किया जा सकता है, वहीं सवाल स्वास्थ्य विभाग पर खड़े होते हैं कि, हरिद्वार जिले का स्वास्थ्य विभाग वैसे तो बिना मानकों के अस्पताल पर कार्यवाही करने की बात करता है, पर सच्चाई कुछ और ही है।

क्योंकि रुड़की, लंढोरा, मंगलौर, भगवानपुर, झबरेड़ा, पिरान कलियर क्षेत्र में दर्जनों ऐसे अस्पताल हैं, जिनका कोई रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया है और कुछ बिजनेसमैन इन अस्पतालों को चला रहे हैं, तो सूत्रों की जानकारी के अनुसार कुछ अस्पतालों के हरिद्वार स्वास्थ्य विभाग ने रजिस्ट्रेशन भी जारी किए हैं पर उन अस्पतालों में फायर, बेड की संख्या पर स्टाफ आदि मौजूद नहीं है।

बावजूद इसके ऐसे अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन कैसे बन जाते हैं यह भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता हैं वहीँ स्वास्थ्य विभाग सिर्फ अपने ऑफिस तक सीमित है बात की जाए रुड़की क्षेत्र की तो यँहा निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य विभाग कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है और फर्जी अस्पताल में बैठे झोलाछाप डॉक्टर मरीजो की जिंदगी से खुलेआम खिलवाड़ करने में लगे हुए हैं।

वहीं भगवानपुर में एक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी का नाम भी बड़ा चर्चाओं में बना हुआ है जिनका नाम पहले भी फर्जी अस्पतालों से मोटी रकम लेने में उछल चुका है पर बावजूद इसके वो अधिकारी आज भी उसी कुर्सी पर विराजमान हैं।

आखिर इसकी क्या वजह है यह भी एक अपने आप मे बड़ा सवाल बनता है। बहरहाल अब देखना यह होगा कि हमारी इस खबर के बाद क्या स्वास्थ्य विभाग को कोई शर्म आती है और लाचार गरीब परिवार के मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों के अस्पतालों की जांच कर उन पर कार्यवाही की जाती है? या ऐसे ही लोगों की जेबे काटने के लिए इन अस्पतालों को खुलेआम चलने दिया जाता है?