बड़ी खबर: कैंपा के सीईओ को शासन ने भेजा नोटिस। मांगा जवाब

कैंपा के सीईओ को शासन ने भेजा नोटिस। मांगा जवाब

कालागढ़ टाइगर रिजर्व एवं लैंसडौन वन प्रभाग कोटद्वार में बीते दो वर्षों में कैंपा के अंतर्गत कराए गए कार्यों पर शासन ने जांच बैठाकर अधिकारियों का जवाब तलब किया है।

अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने कैंपा के सीईओ से आगामी 15 जनवरी 2022 तक किए गए खर्च व कार्यों का पूरी जानकारी मांगी है।

बताते चलें कि, बीते दिनों लैंसडौन वन प्रभाग कोटद्वार के तत्कालीन डीएफओ दीपक सिंह को वन मंत्री हरक सिंह के हस्तक्षेप के बाद लैंसडौन प्रभाग से हटाकर वन मुख्यालय में अटैच कर दिया गया था।

जिसके बाद डीएफओ दीपक ने पीसीसीएफ (हॉफ) को पत्र भेजकर अवैध खनन सहित कई अनियमितताएं बरतने की बात कही थी। उन्होंने कैंपा कार्यों के करोड़ों के बजट में अनियमितता बताई थी।

इसके बाद लैंसडौन विधायक दिलीप रावत ने भी दोनों वन प्रभागों में अनियमितता को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र भेजा था।

शासन ने इसका संज्ञान लेते हुए कालागढ़ टाइगर रिजर्व एवं लैंसडौन वन प्रभाग कोटद्वार में कैंपा कार्यों में हुई गड़बड़ी पर जांच बैठा दी है। शासन द्वारा कैंपा के सीईओ जेएस सुहाग को नोटिस भेजा गया है। उनसे वित्तीय वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में खर्च की धनराशि का पूरा ब्यौरा मांगा गया है।

उनसे पूछा गया है कि, क्या ये कार्य भारत सरकार के एपीओ में सम्मिलित थे? क्या ये कार्य मानकों को पूरा करते हुए किए गए? दोनों डिविजनों में किए गए कार्यों की निर्माण एजेंसी कौन थी? क्या इन कार्यों के लिए प्रशासनिक स्वीकृति ली गई थी या नहीं?

कैंपा के सीईओ से कहा गया है कि, धरातल पर हुए कार्यों का भौतिक रूप से सत्यापन कर 15 जनवरी तक पूरी रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।

बताते चलें कि, विगत वर्ष सीईओ कैंपा के विरुद्ध 75 लाख के फायर टूल्स खरीद मामला भी खूब वायरल हुआ था। इस मामले की जांच भी शासन द्वारा कराई जा रही है।

बहरहाल, अब देखना यह होगा कि, सीईओ कैंपा द्वारा शासन को उपलब्ध कराई जाने वाली रिपोर्ट में उपरोक्त मामले को लेकर दूध का दूध और पानी का पानी हो पाता है या नही!