बाघ की दहशत से परेशान दर्जनों ग्रामवासी। ध्रुवीय भालू की निंद्रा में सोया प्रशासन
इंद्रजीत असवाल
ज़हरीखाल। विगत दो माह से ज़हरीखाल ब्लॉक के दर्जनों गावों में बाघ का आतंक छाया हुआ है, कई ग्रामीणों के मवेशियों को बाघ अपना निवाला बना चुका है।
लेकिन यहां इस बाघ का तरीका भी कुछ अलग है, ये गोशालाओं की छत फाड़कर मवेशियों को निवाला बना रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि, वन विभाग अपने वन दरोगा को भेजकर खनापूर्ती कर रहा है, अब तक वन विभाग ने मवेशियों को बाघ से बचाने के लिए कोई पिंजरा भी नहीं लगाया।
सबसे बड़ी बात ये है कि, यहाँ पर पीड़ित ग्रामीणों से मिलने कोई राजस्व विभाग व जनप्रतिनिधि भी नही आया, जबकि ये समय आने वाले चुनाव का है पर फिर भी कोई इन जगहों पर नही पहुंचा।
ग्रामीण महेंद्र रावत का कहना है कि, वन विभाग के दरोगा आते है और फ़ोटो खींच कर चले जाते है। कब मुआवजा मिलेगा इसका पता नहीं है और ऊपर से जो गोशाला को नुकसान हो रहा है, उसकी भी अभी कोई सुध नहीं ले रहा है।
समाजसेवी हरीश खंतवाल का कहना है कि, वन विभाग खानापूर्ति के लिए आ रहा है, फ़ोटो खींचकर जा रहा है। यहाँ के विधायक दिलीप सिंह रावत नींद की गोलियां खा कर सोए हुए हैं, इसलिये उनको ग्रमीणो की व्यथा का पता नहीं है।
आपको एक पते की बात बताएं तो, विगत तीन साल पहले जिनके पशुओ को बाघ ने नुकसान पहुंचाया उनको आज तक मुहावजा नही मिला। वन विभाग कहता है कि, बजट पूरा नहीं मिलता जब नम्बर आएगा तब मिलेगा तो क्या पशु पालक तब तक पशु नही पालेगा।
इस मामले में हमारे द्वारा उपजिलाधिकारी लैंसडाउन से पूछा गया तो उनका कहना था कि, उनको इस मामले का संज्ञान नही है और इसमे जब ग्रामीण उनको सूचित करेंगे तो वे वन विभाग को कार्यवाही के लिए निर्देशित करेंगे।
अब बात एक और पते की है कि, बाघ द्वारा उक्त इलाके में विगत दो माह से तांडव मचाया जा रहा है और हमारे तहसील प्रसाशन को पता ही नही है। धन्य हो ऐसा प्रसाशन!