केदारनाथ पहुंचे प्रधानमंत्री ने किया कई विकास योजनाओं का लोकार्पण। उत्तराखंड की जनता की तारीफ
देहरादून। गोवर्धन पूजा के मौके पर आज शुक्रवार को केदारनाथ पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदि गुरु शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण किया। उन्होंने केदारनाथ मंदिर में पूजा भी की।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने अयोध्या, काशी और मथुरा का जिक्र किया। कहा कि, सदियों बाद अब इन शहरों को गौरव वापस मिल रहा है। उन्होंने केदारनाथ आपदा का भी जिक्र किया। इस दौरान वह भावुक हो गए।
‘जय बाबा केदार’ के जयकारों के साथ संबोधन किया शुरू
केदारनाथ धाम में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब चार सौ करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘जय बाबा केदार’ के जयकारों के साथ अपना संबोधन शुरू किया। उन्होंने देश के सभी साधु-संतों को प्रणाम किया। कहा कि, भारत की महान ऋषि परंपरा है। सभी का नाम लूंगा तो एक हफ्ता लग जाएगा।
पीएम कहा कि, गाेवर्धन पूजा के दिन मुझे केदारनाथ दर्शन का सौभाग्य मिला है। मैं यहां जब भी आता हूं कण-कण से जुड़ जाता हूं। कहा कि, गरुड़चट्टी से मेरा पुराना नाता है। केदारनाथ में तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं। 2013 की आपदा के दौरान मैंने यहां की तबाही को देखा था।
इस दौरान केदारनाथ आपदा को याद कर प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गए। बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था। जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि, क्या ये हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी कि, ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा।
आज पूरा हो रहा है पुनर्निर्माण का सपना
कहा कि, मैंने जो पुनर्निर्माण का सपना देखा था वो आज पूरा हो रहा है। जो कि सौभाग्य की बात है। इस आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का ये मेल, विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तारीफ की।
कहा कि मैं इन पुनीत प्रयासों के लिए उत्तराखंड सरकार का, मुख्यमंत्री धामी का और इन कामों की जिम्मेदारी उठाने वाले सभी लोगों का भी धन्यवाद करता हूं। उन्होंने केदारनाथ धाम पुनर्निर्माण कार्य करने वाले श्रमिकोंं का भी धन्यवाद किया। बर्फबारी और कड़ी ठंड के बीच उनके काम की सराहना की। इस दौरान उन्होंने पुजारियों और रावल का भी आभार व्यक्त किया।
‘शं करोति सः शंकरः’ यानी, जो कल्याण करे, वही शंकर
प्रधानमंत्री ने कहा कि, शंकर का संस्कृत में अर्थ ‘शं करोति सः शंकरः’ यानी, ‘जो कल्याण करे, वही शंकर’ है। इस व्याकरण को भी आचार्य शंकर ने प्रत्यक्ष प्रमाणित किया। उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही वो जन-साधारण के कल्याण के लिए समर्पित थे। आदि शंकराचार्य का जीवन भारत और विश्व कल्याण के लिए था।
आज आप श्री आदि शंकराचार्य जी की समाधि की पुन: स्थापना के साक्षी बन रहे हैं। यह भारत की आध्यात्मिक समृद्धि और व्यापकता का बह़त अलौकिक दृश्य है। एक समय था जब आध्यात्म को, धर्म को केवल रूढ़ियों से जोड़कर देखा जाने लगा था।
लेकिन, भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है, जीवन को पूर्णता के साथ समग्र तरीके में देखता है। आदि शंकराचार्य ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया।
द्वादश ज्योतिर्लिंगों के पुनर्जागरण का किया काम
प्रधानमंत्री ने कहा कि, आदि शंकराचार्य जी ने पवित्र मठों की स्थापना की, चार धामों की स्थापना की और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के पुनर्जागरण का काम किया।
आदि शंकराचार्य ने सबकुछ त्यागकर देश, समाज और मानवता के लिए जीने वालों के लिए एक सशक्त परंपरा खड़ी की है।
कहा कि, हमारे यहां सदियों से चारधाम यात्रा का महत्व रहा है। द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन की, शक्तिपीठों के दर्शन की और अष्टविनायक के दर्शन की इन सारी यात्राओं की परंपरा है। ये तीर्थाटन हमारे यहां जीवन काल का हिस्सा माना गया है।
अब हमारी सांस्कृतिक विरासतों को और आस्था के केंद्रों को उसी गौरवभाव से देखा जा रहा है, जैसा देखा जाना चाहिए। आज अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूरे गौरव के साथ बन रहा है, अयोध्या को उसका गौरव वापस मिल रहा है।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने अयोध्या, काशी और मथुरा का जिक्र किया। कहा सदियों बाद अब गौरव वापस मिल रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि अभी दो दिन पहले ही अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन पूरी दुनिया ने देखा।
भारत का प्राचीन सांस्कृतिक स्वरूप कैसा रहा होगा, आज हम इसकी कल्पना कर सकते हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश में काशी का भी कायाकल्प हो रहा है।
विश्वनाथ धाम का कार्य बहुत तेज गति से पूर्णता की तरफ आगे बढ़ रहा है। अब देश अपने लिए बड़े लक्ष्य तय करता है। कठिन समय-सीमाएं निर्धारित करता है, तो कुछ लोग कहते हैं कि, इतने कम समय में ये सब कैसे होगा! होगा भी या नहीं होगा! तब मैं कहता हूं कि समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना अब भारत को मंजूर नहीं है।
कोरोना संक्रमण में उत्तराखंड की जनता ने दिया साहस का परिचय
चारधाम सड़क परियोजना पर तेजी से काम हो रहा है, चारों धाम हाईवे से जुड़ रहे हैं। भविष्य में यहां केदारनाथ तक श्रद्धालु केबल कार के जरिए आ सकें, इससे जुड़ी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। यहां पास में ही पवित्र हेमकुंड साहिब जी भी हैं।
हेमकुंड साहिब जी के दर्शन आसान हों, इसके लिए वहां भी रोप-वे बनाने की तैयारी है। उत्तराखंड में तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं। इसी का नतीजा है कि, चारधाम यात्रा आने वाले भक्तों की संख्या लगातार रिकॉर्ड बढ़ रही है।
अगर कोरोना नहीं होता तो यह और भी ज्यादा होती। कहा कि, उत्तराखंड के लोगों ने कोरोना संक्रमण में साहस का परिचय दिया। कोरोना टीकाकरण की पहली डोज में शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया है। ये उत्तराखंड की ताकत है, सामर्थ्य है।
पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी अब उसी के काम आएगी, पलायन रुकेगा। इसके लिए प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री धामी को धन्यवाद कहा। कहा कि, जितनी ऊंचाई पर उत्तराखंड है वह उतनी ही ऊंचाई हासिल करेगा। इसके बाद उन्होंने बाबा केदारनाथ और आदि शंकराचार्य को नमन कर ‘जय केदार’ के जयकारों के साथ अपना संबोधन समाप्त किया।