टिहरी के सस्पेंशन ब्रिज में आई दरारें। गुणवत्ता पर उठे सवाल
उत्तराखंड में जिस रफ्तार से सरकार विकास कराने में जुटी है, प्रदेश को जगमगाना चाहती है, उसी रफ्तार से सरकार की परियोजनाएं, विकास कार्य धाराशाही हो रही है। ताज्जुब है कि, करोड़ो की लागत की परियोजनाएं एक बारिश भी नहीं झेल पा रही है। अब टिहरी में भारत के सबसे लंबे सिंगल संस्पेंशन डोबरा चांठी पुल पर बिछी मास्टिक के जोड़ों में दरार पड़ने लगी है।
जबकि पिछले साल 8 नबंवर को पुल का उद्घाटन हुआ था। उस समय भी इन पर दरार पड़ी थी। आनन-फानन में कंपनी ने मास्टिक को ठीक करवाया था। एक बार फिर से पुल पर कई जगहों पर मास्टिक में दरार पड़ गई है। इससे निर्माणदायी गुप्ता कंपनी की घटिया कार्यप्रणाली सबके सामने उजागर हो गई।
15 साल से इस पुल के निर्माण को लेकर टिहरी की जनता ने लंबी लड़ाई लड़ी है। लेकिन अब इसमें दरार पड़ने से जनता आक्रोशित है और खुद को ठगा महसूस कर रही हैं।
बता दें कि, टिहरी के निवासियों के हिस्से भारत का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज डोबरा चांठी पुल अनमोल तोहफे के रूप में आया था। मगर 9 महीने के भीतर ही पुल की में दरारें पड़ने लगी है। ये वही पुल है जो टिहरी की जनता की लंबी लड़ाई के बाद 15 साल अस्तित्व में आया।
डोबरा चांठी पुल का निर्माण 2005 में शुरू किया गया था। इसे बनने में 10 साल से ज्यादा का समय लगा। 8 नवंबर 2020 को इसका उद्घाटन किया गया। अभी पुल के उद्घाटन को एक साल का वक्त भी नहीं हुआ कि, मास्टिक के जोड़ खुलने के साथ उसमें दरार पड़ने लग गई हैं। जिससे कंपनी की लापरवाही सामने देखने को मिली है। साथ ही ये बड़े हादसे का संकेत दे रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि, कभी इस पुल की मास्टिक टूट रही है तो कभी पुल के आस-पास जमीन में मलबा आ रहा है। लेकिन जनता की सुरक्षा को देखते हुए कंपनी और सरकार द्वारा आज तक इस पुल की थर्ड पार्टी से जांच नहीं करवाई गई। जैसे दिल्ली की मेट्रो लाइन की थर्ड पार्टी से जांच कराई जाती है।
रिपोर्ट आने के बाद मेट्रो का संचालन किया जाता है, लेकिन डोबरा चांठी पुल के ऊपर बिना थर्ड पार्टी से जांच करवाए वाहनों के लिए खोल दिया गया। लोगों ने आशंका जताते हुए कहा कि, ऐसा न हो जैसे रानीपोखरी का पुल टूटा उसके बाद सरकार जागी। लोगों ने पुल की जांच की मांग उठाई है।