भाजपा से असंतुष्ट नेताओं के लिए खुले है कांग्रेस के दरवाजे
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दावा किया है कि, उत्तराखंड में वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा करके जिस तरह एक बिना तजुर्बे वाले नेता को सिर्फ युवा के नाम पर मुख्यमंत्री बनाया गया, उससे प्रदेश भाजपा में जबर्दस्त असंतोष है। कुछ असंतुष्ट भाजपा नेता हमारे संपर्क में हैं।
लेकिन उनके बारे में कोई फैसला जल्दबाजी में नहीं होगा। कांग्रेस किसी के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं करेगी, लेकिन उनकी जिताऊ क्षमता और उनके आने से पार्टी पर क्या असर होगा? ऐसे मसलों पर विचार करने के बाद फैसला लिया जाएगा। यह बात हरीश रावत ने अमरउजाला डॉट कॉम को दिए गए एक विशेष इंटरव्यू में पूछे गए सवालों के जवाब में कही।
रावत ने प्रदेश की भाजपा सरकार को हर मायने में असफल बताया है। रावत ने कहा कि, भाजपा जनता की समस्याओं के समाधान में बुरी तरह असफल साबित हुई है। भाजपा ने चार महीने के अंदर तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलकर यह साबित कर दिया है कि, राज्य को लेकर उसके पास कोई ठोस नीति नहीं है।
उसकी इस अनिश्चितता और अनिर्णय के कारण राज्य का भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि, एक विपक्षी दल होने के कारण वे अपने स्तर से चुनाव की तैयारी अवश्य करेंगे, लेकिन इस बार बेरोजगारी-महंगाई से त्रस्त जनता स्वयं बदलाव चाहती है और यह बड़ी बात है।
रावत ने आरोप लगाया कि, भाजपा अपने पूरे कार्यकाल में राज्य के एक नेता का चुनाव तक नहीं कर पाई। वह बार-बार मुख्यमंत्री बदलती रही, जिससे प्रशासन में नीतिगत पैरालिसिस हो गया। भाजपा के इस अनिश्चय के कारण राज्य की जनता को भारी नुकसान हुआ और राज्य का विकास ठप पड़ा रहा।
उन्होंने कहा कि, पुष्कर सिंह धामी जमीन से उठकर आए हुए नेता नहीं हैं। उन्हें भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की मनमर्जी से राज्य की जनता पर थोपा गया है। यही कारण है कि, वे राज्य के युवाओं को आकर्षित करने में असफल साबित होंगे। अगर वे स्वयं अपनी राजनीति के बल पर चुनकर नीचे से आए होते तो युवाओं के बीच प्रभाव छोड़ते, लेकिन ऐसा न होने के कारण वे राज्य के युवाओं के आदर्श नहीं बन पाएंगे।
आम आदमी पार्टी भी इस बार के विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही है। क्या उसे कोई सफलता मिल सकेगी और क्या वह कांग्रेस के लिए इस पहाड़ी राज्य में भी मुश्किल खड़ी कर सकेगी?
अमर उजाला के इस सवाल पर कांग्रेस नेता रावत ने कहा कि, उत्तराखंड की तासीर बिल्कुल अलग है। यहां अब तक केवल राष्ट्रीय दल ही सफल होते रहे हैं। बसपा ने भी कई बार प्रयास किया, लेकिन उसे भी यहां सफलता नहीं मिली।
उन्होंने कहा कि, उत्तराखंड दिल्ली की तरह छोटा राज्य नहीं है, बल्कि यह बहुत विस्तृत और विशेष संस्कृति को संजोने वाला राज्य है। इसलिए यहां दिल्ली की तरह की राजनीति सफल नही हो सकती।
हरीश रावत ने कहा कि, कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में युवाओं की बेरोजगारी और महिलाओं की परेशानी को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाकर मैदान में उतरेगी और जीत हासिल करेगी।
उन्होंने कहा कि, पूरे कार्यकाल में भाजपा ने राज्य के युवाओं को कोई रोजगार नहीं दिया है, वे लगातार आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। लेकिन न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार इस संदर्भ में कोई बड़ा कदम उठा पाई है। इससे युवाओं में भाजपा के खिलाफ नाराजगी बढ़ती जा रही है।
उन्होंने कहा कि, आज देश में महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है, लेकिन केंद्र सरकार राहत देने में असफल साबित हुई है। मंहगाई के कारण महिलाओं के किचन का बजट खराब हो गया है और उन्हें भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि, महिलाएं अब बदलाव चाहती हैं।
अनेक कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने के सवाल पर हरीश रावत ने कहा कि, राजनीति धैर्य की चीज होती है। यहां धैर्य रखने वाले को ही ईनाम मिलता है। अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में होते तो मुख्यमंत्री बनते। आज वे केंद्रीय मंत्री अवश्य हैं, लेकिन बाद में उन्हें पछतावा अवश्य होगा।
उन्होंने कहा कि, जब वे भाजपा में थे, तब उनकी आवाज का एक महत्व होता था, उनके बोलने पर यह संदेश जाता था कि, यह कांग्रेस की आवाज है। लेकिन आज उनके बोलने को भाजपा की आवाज नहीं माना जा सकता।
हालांकि, उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण नेता जितिन प्रसाद के पार्टी छोड़ने पर रावत ने अवश्य दुख जताया। जितिन प्रसाद के मामले में कुछ गलती हुई है, उसे स्वीकार करना चाहिए। हालांकि, खुद जितिन प्रसाद ने भी अपनी इच्छाओं के बारे में पार्टी को सही समय पर नहीं बताया, अन्यथा इसका समाधान निकाला जा सकता था।