कोरोना काल में आर्थिकी से जूझ रहे व्यापारियों ने बजाई भैंस के आगे बीन। जताया विरोध
रिपोर्ट- दिलीप अरोरा
किच्छा। जहाँ एक ओर पुरे प्रदेश में व्यापारी और व्यापारियों के समूह बजार को खुलवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है, तो वहीं इसके लिए वह भिन्न-भिन्न प्रकार के विरोध के तरीके अपना रहे है। इसमें कभी डीएम तो कभी सीएम तो कहीं-कहीं एसडीएम को भी ज्ञापन देते हुए दिखे है।
व्यापारियों की लगातार सरकार से मांग रही है कि, सरकार छोटे-छोटे व्यापारियों की ओर भी अपना ध्यान लेकर आये और उनकी आर्थिक स्थिति को देखे और समझें कि, व्यापारी इस समय कितने परेशान है।
सरकार बजारों को नियमों के साथ जल्द से जल्द खुलवाए, ऐसी मांग भी लगातार कर रहे है। उनका यह भी कहना है कि, यदि सरकार पूर्ण रूप से बजार नहीं खुलवा सकती है तो कम से कम बजारों के खुलने के समय को और बढ़ाये ताकि व्यापारियों को कुछ तो राहत मिले। जिससे उनके सामने जो आर्थिक संकट उतपन्न हो रहा है, उसमे कुछ सुधार हो सके।
यही नहीं ज्ञापन देने के अलावा व्यापारी सरकार को चेतावनी भी देते रहते है और आये दिन विरोध करने के नये-नये तरीके ढूंढ कर विरोध कर रहे है। अभी हॉल ही में व्यापारियों ने ताली और थाली बजाकर विरोध दर्ज कराया था, तो आज किच्छा के देव भूमि व्यापार मण्डल व्यापारियों ने एक ऐसा नया बजार बंद का विरोध करने का तरीका निकाला जो हास्यपद होने के साथ-साथ चर्चाओ का भी मुद्दा बन गया। जिसकी फोटो/वीडियो भी लोग खूब शेयर कर रहे है।
दरअसल लगातार बजार खोलने की मांग करते-करते व्यापारी थक गए और उनको ऐसा लग रहा है कि, सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है। सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए आज इन व्यापारियों ने अनूठा तरीका ढूंढ निकाला ओर भैंस के आगे बिन बजाकर विरोध प्रदर्शन किया।
व्यापारियों ने भैस और बिन के साथ नई मंडी से एसडीएम कार्यालय तक एक मार्च निकाला और नारेबाजी भी की। जिसके बाद एसडीएम कार्यालय पर एक ज्ञापन सौंपा।
इस पर व्यापारी नेता दुर्गेश गुप्ता और जगरूप सिंह गोल्डी ने बताया कि, जैसे भैस के आगे बिन बजाकर कुछ हाथ नहीं लगता भैस कभी नहीं नाचती है। उसी प्रकार की स्थिति मौजूदा भाजपा सरकार की है, जिस पर व्यापारियों की मांग का कोई असर नहीं हो रहा है।
हम बार-बार विरोध कर रहे है, ज्ञापन दे रहे है, बावजूद इसके सरकार के कानो पर जूँ तक नहीं रेंग रही है।
इसलिए हमने आज यह तरीका ढूँढा है ताकि इस बार बिन की आवाज सुन कर भैस नाचने लगे और सरकार हमारी बातो को मान ले। अगर सरकार बात नहीं मानेगी तो आगे भी इसका विरोध जारी रहेगा और जेल भरो आंदोलन भी होगा।
अब देखना दिलचस्प होगा कि, सरकार तक व्यापारियों के विरोध का यह तरीका कितना असर करता है। क्या भैस के आगे बजी बिन कुछ कमाल दिखा पायेगी। भैस का तो पता नहीं की नाचे या न नाचे लेकिन आज का दिन किच्छा वासियो के लिए तो हास्यपद बन ही गया और देव भूमि व्यापार मंडल का यह विरोध का तरीका अब खूब सुर्खिया बटोर रहा है।