आखिर क्यों किया इस गांव के ग्रामीणों ने वैक्सीन लगवाने से इनकार। जानिए इस रिपोर्ट में
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। ग्रामीण क्षेत्रो में कोरोना अभी भी कम होने का नाम नही ले रहा है। कोरोना को लेकर ग्रामीण क्षेत्रो में दहशत तो है, मगर अभी भी ज्यादातर गावँ में वेक्सीनेशन की रफ्तार काफी सुस्त है। ग्रामीण क्षेत्रो में वेक्सीनेशन की सुस्त रफ्तार की कई वजह सामने आई है। ग्रामीण क्षेत्रो में वेक्सीनेशन केंद्र नही होने और जागरूकता की कमी तो वजह है ही मगर सबसे चौकाने वाली वजह है कि, ग्रामीण वैक्सिन नहीं लगवाना चाहते। क्योंकि उनमें वैक्सिन को लेकर बुखार आने और मर जाने तक की अफवाहें इन लोगो के दिमाग में घर कर गयी है। ग्रामीण क्षेत्रो में 18 से ऊपर उम्र के कई युवा ऐसे है, जिनमे वैक्सिन को लेकर ख़ौफ़ है वह वैक्सिन नही लगवाना चाहते है।
पूरी पढ़ें धनपुरा गावँ की यह खास रिपोर्ट
ज्ञात हो कि, पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, कोरोना को हराने की कोशिशों में लगा हुआ है। वहीं देश में अफवाह गैंग इस लड़ाई को कमजोर कर रहे है। कोरोना से बचाव के लिए देश भर में बड़े पैमाने पर वेक्सीनेशन का काम चल रहा है। विशेषज्ञ भी कह रहे है कि, कोरोना से बचाव में वैक्सिन बहुत कारगर साबित हो रही है। मगर अफवाह गैंग वैक्सिन को लेकर भी तरह-तरह की अफवाह फैलाने में जुटा हुआ है। कुछ लोगों में वैक्सिन को लेकर इस तरह का भ्रम पैदा कर दिया गया है कि, लोग वैक्सिन नही लगवाना चाहते है। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात तो यह सामने आई है कि, 18 प्लस से अधिक उम्र की युवा पीढ़ी में भी वैक्सिन को लेकर भय पैदा किया जा रहा है।
हरिद्वार के गावँ धनपुरा में जब हमने कई युवाओं से बात की तो इन्होंने वैक्सिन नहीं लगवाने की बात कही। युवाओं का कहना है कि, वैक्सिन लगवाने से बीमार पड़ रहे है, लोगो को बुखार आ रहा है, यही नही युवाओं का तो कहना है कि, वह पूरी तरह से स्वस्थ है, उसकी इम्युनिटी भी मजबूत है फिर वह वैक्सिन क्यों लगवाए? उन्होंने बताया कि, सोशल मीडिया से उसे पता चला कि, कई लोग वैक्सिन लगवाने के बाद बीमार पड़े और उनकी मौत हो गई। इसलिए वह स्वस्थ है और वैक्सिन नही लगवाएंगे।
बता दें कि, हरिद्वार के ज्यादातर गावँ कोरोना की चपेट में है। ग्रामीण क्षेत्रो में ज्यादातर घरों में कोरोना ने दस्तक दे दी है। धनपुरा गावँ में ही अभी तक 25 से ज्यादा लोगो की कोरोना से मौत की बात सामने आ रही है। गावँ के पूर्व प्रधान ग़ालिब हसन का कहना है कि, गावँ में कोरोना से ना तो बचाव के और न ही इलाज के कोई इंतजाम है। गावँ में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी बदहाल हालात में है और न ही यहां सेनेटाइज की कोई व्यवस्था है। गावँ के लोगों में वैक्सिन को लेकर भी भ्रम है।
जिला प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा दुरुस्त होने के लाख दावे कर रहा है, मगर कोरोना काल में जिला प्रशासन के दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। हरिद्वार एसडीएम गोपाल सिंह चौहान का कहना है कि, ग्रामीण क्षेत्रों में बुखार खांसी की शिकायतें हमारे द्वारा लेखपालों बी.डी.ओ आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से ली जा रही है। हमारे द्वारा तुरंत वहां पर सैंपलिंग का कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही वैक्सीनेशन का कार्य भी क्षेत्र में किया जा रहा है। हमारे द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन को लेकर प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है कि, वैक्सीन सुरक्षित है, ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के लिए के लिए हमारी लगभग 150 टीम कार्य कर रही है। 10 से 12 दिन में करीब 60 हजार के करीब रजिस्ट्रेशन भी किए गए हैं।
गौरतलब है कि, ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना कम होने का नाम नहीं ले रहा है। साथ ही ग्रामीणों में वैक्सीनेशन को लेकर भी डर का माहौल बना हुआ है। जिला प्रशासन द्वारा लाख दावे किए जा रहे हैं कि, ग्रामीणों को वैक्सीनेशन के लिए जागरूक करने के तमाम तरह के अभियान भी चलाए जा रहे हैं। मगर धरातल पर ग्रामीण क्षेत्रों में यह दिखाई नहीं दे रहे हैं। क्योंकि ना ही ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा दुरुस्त है और ना ही जिला प्रशासन द्वारा कोरोना महामारी में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है। जिस कारण बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना पॉजिटिव की संख्या बढ़ रही है।