मौत के आंकड़ो में गड़बड़झाला। स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल छिपा रहे आंकड़े
स्वास्थ्य विभाग और कुछ निजी अस्पतालों पर कोरोना संक्रमण के कारण हुई मौत के आंकड़ों को छुपाने का आरोप लगा हैं। दरसल मौत के जो आकड़े दिखाए जा रहे हैं, उनमे गड़बड़ी नजर आ रही हैं। क्यूंकि कुछ अस्पताल मौतों का रिकॉर्ड स्वास्थ्य विभाग से साझा ही नहीं करते तो वहीं स्वास्थ्य विभाग जो आंकड़े पेश कर रहा है, उसमें भी झोलझाल नजर आ रहा हैं।
जानकारी के अनुसार 10 से ज्यादा ऐसे निजी अस्पतालों को अब तक मरीजों की मौत के आंकड़े समय पर नहीं देने को लेकर नोटिस दिया गया हैं। फिर भी हरिद्वार, रुद्रपुर और देहरादून में अस्पतालों की तरफ से मरीजों की मौत के आंकड़े बेखौफ छिपाए जा रहे हैं और बाद में एक साथ कंट्रोल रूम को भेजे जा रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने हरिद्वार के बाबा बर्फानी अस्पताल में 65 मरीजों की मौत की जानकारी देर से देने के पर नोटिस जारी किया और सख्ती दिखाई। इसके बाद रायपुर के कोविड केयर सेंटर को भी नोटिस जारी किया गया हैं।
बता दें कि, बाबा बर्फानी अस्पताल हरिद्वार द्वारा 14 मई को 65 मौतों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी गई लेकिन स्वास्थ्य विभाग की सख्ती के बाद पता चला कि, अप्रैल से 13 मई तक हुई मौत की जानकारी अस्पताल की तरफ से दी ही नहीं गई थी।
ऐसा ही मामला देहरादून के रायपुर स्थित कोविड केयर सेंटर का भी हैं। कोविड केयर सेंटर ने 27 मरीजों की मौत की जानकारी देरी से दी। सेंटर में मौतें 26 अप्रैल से 16 मई के बीच हुई थी, लेकिन जानकारी देर से दी गई।
हरिद्वार के भेल हॉस्पिटल से भी 15 मरीजों की मौत के मामले को देरी से बताया गया। वहीं उधम सिंह नगर के नव्या हॉस्पिटल की तरफ से 7 मरीजों की मौत देरी से बताई गई। रुद्रपुर अस्पताल में भी 65 मरीजों की मौत को बेहद देरी से दर्ज कराया गया। इतने मरीजों की मौत 28 अप्रैल से 7 मई तक हुई थी।
अस्पतालों की लापरवाही के कारण तो राज्य में मरीजों की मौत के आंकड़ों में तो झोलझाल हैं ही, वहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी हेल्थ बुलेटिन में ही मौत के आंकड़ों को इस कदर तोड़ा-मरोड़ा गया हैं कि, राज्य में मौतों की असल स्थिति जानना ही बड़ा मुश्किल दिखाई दे रहा हैं ।
स्वास्थ्य हेल्थ बुलेटिन में जारी मौत के आंकड़ों को थोड़ा जाँच परख करने के बाद पता लगा कि, 11 मई को राज्य में 118 मरीजों की मौत बताई गई और 4014 कुल मौतें दिखाई गई। 10 मई के आंकड़ों से तुलना की जाए तो 11 मई के आंकड़ों में पौड़ी गढ़वाल में 3 मरीजों की मौतों को कम दिखाया गया। इसी तरह नैनीताल में मरने वाले मरीजों में एक मरीज कम दिखाया गया। देहरादून में भी 3 मरीजों की मौत कम दिखाई गई। उधर चमोली और बागेश्वर में आंकड़ों के लिहाज से एक-एक मरीज ज्यादा दिखाए गए थे।
साथ ही 12 मई के आंकड़ों में देहरादून में एक मरीज की कम मौत दिखाई गई और पौड़ी गढ़वाल में 5 मरीजों के आंकड़े को कम दिखाया गया। उधर हरिद्वार में मौत के आंकड़े में एक मरीज ज्यादा दिखाया गया। 13 मई को भी देहरादून और पौड़ी में 2 मरीजों की मौत को कम दिखाया गया, नैनीताल में 3 मरीजों का आंकड़ा मरने वालों के लिहाज से कम था। जबकि हरिद्वार में आंकड़ों से 3 मरीज ज्यादा मृत दिखाए गए।
14 मई को देहरादून में 2 मरीजों की संख्या कम दिखाई गई। नैनीताल में 5 मरीजों को कम दर्शाया गया और पौड़ी गढ़वाल में भी तीन मरीजों के कम मरने का आंकड़ा दिखाया गया। जबकि उधम सिंह नगर में आंकड़ों के लिहाज से 4 मरीज ज्यादा मरना दिखाया गया। 15 मई को देहरादून जिले में मरने वालों में एक मरीज कम दिखाया गया। पौड़ी गढ़वाल में 5 मरीजों के मरने का आंकड़ा कम दिखाई दिया और हरिद्वार में एक मरीज ज्यादा दिखाया गया है। 16 मई को भी पौड़ी गढ़वाल में आंकड़ों के हिसाब से 3 मरीजों को कम दिखाया गया।
17 मई की बात करें तो इसमें टिहरी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और हरिद्वार में एक-एक मरीज ज्यादा दिखाए गए। उधर देहरादून में मरने वाले मरीजों में एक मरीज कम दिखाया गया और पौड़ी गढ़वाल में 2 मरीज कम दिखाए गए।
डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि, इस मामले में कंट्रोल रूम की तरफ से सभी सावधानियों को बरता गया हैं और आंकड़ों में कोई गड़बड़ी ना हो इसका भी ध्यान रखा गया हैं। उन्होंने कहा कि, कुछ अस्पतालों की तरफ से जानकारियां देरी से दी जा रही है, इसलिए आंकड़ों में कुछ बदलाव किए जा रहे हैं।