बाजारों में निकली सोशल डिस्टेंसिंग की हवा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और बैंकों में उमड़ी भीड़
रिपोर्ट- दिलीप अरोरा
किच्छा। शहर में उमड़ी भीड़ ने पिछले कुछ दिन का रिकॉर्ड ही तोड़ दिया। शहर में गत दिवस इतनी भीड़ देख कर हर कोई भौचक्का रह गया और इस वजह से शहर में सोशल डिस्टेंसिंग का जमकर मजाक बनता दिखा। जैसे ही कोरोना की नई गाइडलाइन आई तो मानो लोगों ने यह सोच लिया हो की 10 मई को ही सारी खरीदारी कर लेनी है, जैसे आज के बाद कुछ नहीं मिलेगा। सब लॉकडाउन हो जायेगा। इसी सोच की वजहा से ही लोग बाजारों मे ऐसे टूट कर बरसे जैसे बजारों में सब कुछ फ्री में ही मिल रहा हो और इसी बात का कुछ जगहों पर फायदा भी उठा और कहीं-कहीं कपड़ो की क्रॉकरी की दुकानों पर कुछ ज्यादा पैसों में समान बेचा गया और दुकानदार महंगा शायद इसलिए भी देते मिले क्योंकि ग्राहक स्वयं पैसे ज्यादा देने को तैयार थे, इस शर्त पर की बस उनकी आवश्यकता का समान उनको पहले मिल जाये।
लेकिन इन सबके बीच लोग एक बहुत महत्वपूर्ण चीज को मिस कर गए, वो थी सोशल डिस्टेंसिंग। जिसका पालन कही होता नहीं दिखा। चाहे वह सामुदायिक केंद्र हो, किराने की दुकाने हो, बैंक हो, सब्जी बजार हो या फिर मुख्य बजार और सब्जी बजार में तो 10 वर्ष से भी कम उम्र के बच्चे सब्जी बेचते नजर आये। यही नहीं इसकी आड़ में बोरिंग गली और सिद्धू मार्किट भी खुली दिखी और लोगो की जमकर भीड़ यहाँ भी देखने को मिली और लोग शटर बंद करके समान देते दिखे। शहर के सारे चौक चौराहे भीड़ भरे दिखे। कोविड को देखते हुए शहर की स्थिति बहुत ही खराब दिखी।
प्रशासन द्वारा लगातार समझाने के बावजूद यहाँ की आवाम कुछ सुनना और समझना नहीं चाहती, ना यहाँ के दुकानदार नियमों को मान रहे है ना यहां आने वाले लोग।
बात बोरिंग गली और सिद्धू मार्किट की करें तो यहां आने वाले ग्राहक या तो सूट साड़ी, लेने आते है या फिर जूते चप्पल, कॉस्मेटिक, रेडीमेड कपड़े लेने आते है, बावजूद इसके इन बजारों मे आखिर इतनी भीड़ कैसे पहुंच गयी। इस बात की शिकायत प्रशासन को भी मिली लेकिन पुलिस के आते सब कुछ शांत हो गया और पुलिस के जाते ही दोबारा भीड़। किच्छा की स्थिति फिलहाल राम भरोसे ही नजर आ रही है। यही कारण है कि, गत दिवस जिले में 717 संक्रमित पाए गए थे।