सोमवती स्नान को लेकर जिला प्रशासन सतर्क। भीड़ उमड़ने पर हो सकता है बॉर्डर सील

सोमवती स्नान को लेकर जिला प्रशासन सतर्क। भीड़ उमड़ने पर हो सकता है बॉर्डर सील

– श्री गंगा सभा की मांग स्नान पर्व पर कोई भी पाबंदी ना लगाए
– जिला प्रशासन संतो ने की घर बैठकर ही गंगा स्नान करने की अपील

रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए हरिद्वार जिला प्रशासन ने पूर्व में हुए कार्तिक पूर्णिमा स्नान को स्थगित कर यात्रियों के हरिद्वार आकर गंगा स्नान करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था, उसके बाद तमाम धार्मिक संगठनों ने कार्तिक पूर्णिमा स्नान को स्थगित करने का विरोध किया था। अब 14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या का स्नान पर्व है इसको देखते हुए हरिद्वार जिला प्रशासन भी पूरी तरह से सतर्क नजर आ रहा है। इस बार हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा स्नान पर्व को अभी स्थगित नहीं किया है। मगर पूर्व की भांति हरिद्वार जिला प्रशासन ने अपील की है कि, भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 50 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति, प्रेगनेंट महिलाएं और बच्चे गंगा स्नान करने हरिद्वार ना आए। अगर गंगा स्नान में श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ आती है तो बॉर्डर को भी सील करने की कार्रवाई जिला प्रशासन करने की तैयारी कर रहा है।

वहीं श्री गंगा सभा के पदाधिकारी गंगा स्नान पर किसी भी प्रकार की पाबंदी ना लगाने की मांग कर रहे हैं, तो संत समाज द्वारा अपील की गई है कि, कोरोना महामारी को देखते हुए श्रद्धालु घर रहकर ही मानसिक गंगा स्नान करें।बता दें कि, सोमवती अमावस्या का पर्व काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और हर वर्ष इस स्नान में लाखों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार आकर मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाते हैं। मगर कोरोना महामारी के चलते हरिद्वार में पढ़ने वाले तमाम स्नानों पर श्रद्धालुओं की भीड़ में कमी देखने को मिल रही है। क्योंकि जिला प्रशासन द्वारा भी कई स्थानों को स्थगित किया गया है। मगर इस बार सोमवती अमावस्या पर भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार जिला प्रशासन द्वारा छूट दी गई है।

जिलाधिकारी सी रविशंकर ने बताया कि, हमारे द्वारा पहले भी अपील की गई थी और अब भी अपील की जा रही है कि, भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 50 वर्ष ऊपर के बुजुर्ग प्रेग्नेंट महिलाएं और बच्चे गंगा स्नान करने ना आए। यह हम उनसे अनुरोध कर रहे हैं और गंगा स्नान में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ गंगा घाटों पर जितनी व्यवस्था हो सकती है उसी के अनुसार हम गंगा स्नान को अनुमति दे रहे हैं। अगर ज्यादा भीड़ होती है तो हमारे द्वारा आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी का कहना है कि, अगर गंगा स्नान पर भीड़ ज्यादा होती है तो हमारे द्वारा बॉर्डर को भी सील करने की कार्रवाई की जा सकती है। इसके लिए हमारे द्वारा दूसरे राज्यों से भी अपील की जा रही है। भारी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार ना आए अगर भारी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं तो हमारे द्वारा प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है।

कार्तिक पूर्णिमा स्नान को स्थगित करने के बाद श्री गंगा सभा द्वारा इसका पुरजोर विरोध किया गया था, इस बार भी श्री गंगा सभा द्वारा सोमवती अमावस्या स्नान पर पूरी तरह से छूट देने की मांग की गई है। श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ का कहना है कि, हमारे द्वारा पूर्व में भी जिला प्रशासन को सुझाव दिए गए थे कि अब हम एक महीने बाद सबसे बड़े आयोजन कुंभ की तैयारी कर रहे हैं। और उसे कुछ समय पूर्व पढ़ रहे स्नानों को लेकर हम कह रहे हैं कि, इन स्थानों को हम नहीं करा पाएंगे। यह बहुत ही विरोधाभास बातें हैं। इन स्नानों को एक तैयारी के रूप में लेना चाहिए। जिससे हमें पता चल जाए कि, हमारे द्वारा कुंभ मेले में किस तरह की व्यवस्था की जा सकती है।

इनका कहना है कि, शाही स्नान से अलग 14 जनवरी को मकर सक्रांति का स्नान है और इस स्नान को हम कुंभ की व्यवस्था को देखते हुए कराएंगे। मगर एक माह पूर्व के स्नान को हम प्रतिबंध करेंगे या पाबंदी लगाएंगे तो यह हमारी कुंभ की तैयारी में अच्छे संकेत नहीं होगे। क्योंकि अब हरिद्वार के तमाम घाटों को बड़ा स्वरूप दिया गया है जिसमें काफी श्रद्धालु स्नान कर सकते हैं। सोमवती अमावस्या का पुराणों में भी वर्णन आता है और इस स्नान को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी का कहना है कि, सोमवती अमावस्या स्नान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और हरिद्वार में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आकर मा गंगा में आस्था की डुबकी लगाते हैं।

शास्त्रों और पुराणों में इसका वर्णन भी आता है। नारद पुराण में विशेष तौर पर सोमवती अमावस्या का वर्णन है सोमवती अमावस्या पर दान और सूर्य को अर्घ्य देना काफी फलदायक होता है। इनका कहना है कि कोरोना महामारी को देखते हुए भारी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार गंगा स्नान करने ना आए, घर बैठकर ही मानसिक गंगा स्नान करें। एक लोटा गंगाजल पानी की बाल्टी में डाल कर उससे स्नान करें। इससे सोमवती अमावस्या के स्नान का फल प्राप्त हो जाएगा।

आपको बता दें कि, अभी हाल ही में कार्तिक पूर्णिमा के स्थान को जिला प्रशासन द्वारा स्थगित करने का निर्णय लिया गया था। जिसके बाद श्री गंगा सभा साधु संतों और कई धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन के इस निर्णय का विरोध किया था। इसके बाद अब सोमवती स्नान को सकुशल संपन्न कराना भी प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। क्योंकि जिस तरह से कोरोना अपने पैर पसार रहा है और स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा घाटों पर होती है, उसे देखते हुए सोमवती स्नान भी किसी चुनौती से कम नहीं है।