कुंभ मेले की विधिवत शुरुआत के लिए श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़े ने किया भूमि पूजन
– बिना संत समाज के कुंभ का स्वरूप नहीं अपर मेला अधिकारी
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। कुंभ मेला जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है वैसे वैसे कुंभ की तैयारियां पूरी करने के लिए मेला प्रशासन के साथ सभी अखाड़े भी शामिल हो जाते हैं। हर अखाड़े द्वारा कुंभ कार्यों को लेकर भूमि पूजन किया जा रहा है और भूमि पूजन के बाद सभी अखाड़ों में कुंभ मेले की शुरुआत हो जाती है और जितने भी अखाड़ों में कार्य किए जाने होते हैं उनको भूमि पूजन के बाद ही किया जाता है। आज श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े द्वारा भूमि पूजन किया गया। भूमि पूजन में अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह सहित अखाड़े के तमाम साधु-संतों ने भाग लिया और आज से आवाहन अखाड़े ने विधिवत रूप से कुंभ मेले की शुरुआत कर दी है।
श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री सत्यगिरी महाराज का कहना है कि, भूमि पूजन सनातन परंपरा को मानने वाले लोगों की परंपरा है। चाहे घर का निर्माण कराना हो, कुंभ मेले के कार्य हो या अखाड़ों में निर्माण कराने का कार्य हो, किसी भी प्रकार का कार्य होता है तो उसमें भूमि पूजन जरूर किया जाता है। इसमें सभी देवताओं का आवाहन होता है और इसमें अखाड़े के सभी साधु संत हर्षोल्लास के साथ शामिल होते हैं। आज भूमि पूजन के साथ हमारे अखाड़े ने विधिवत कुंभ मेले की शुरुआत कर दी है। कुंभ को लेकर शासन द्वारा भी हमें सहयोग किया गया है। साधु संतों के लिए कुंभ काफी महत्वपूर्ण होता है। इनका कहना है कि, कोरोना महामारी को देखते हुए भारत सरकार की गाइडलाइन और अखाड़ा परिषद के निर्देशों का पालन किया जाएगा। मगर हमारे द्वारा सभी तैयारियां पूरी की जा रही हैं। जो पिछले कुंभ में हमारे द्वारा की गई थी। हमारे द्वारा मेला प्रशासन को भी बोला गया है कि, वह भी अपनी तैयारियां पूरी करें। जो सुविधाएं प्रशासन द्वारा अखाड़ों को दी जानी है उसकी मेला प्रशासन द्वारा व्यवस्था की जाए।
श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के भूमि पूजन में पहुंचे अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह का कहना है कि, आवाहन अखाड़े में आज भूमि पूजन किया गया है और कुंभ को देखते हुए अखाड़ों में जो व्यवस्था है की जानी है उसको देखते हुए आज भूमि पूजन किया गया। मैं अखाड़ों को शुभकामनाएं देता हूं और अपेक्षा करता हूं कि, साधु संतों के सहयोग से कुंभ सफल हो सके। इनका कहना है कि, एक व्यक्ति से कोई भी बड़ा आयोजन सफल नहीं होता है ना सरकार इतना बड़ा आयोजन सफल करा सकती है। बिन साधुओं के समावेश के और वह कुंभ में प्रतिभाग ना करें। तब तक तुम को सफल बनाना मुमकिन नहीं है और इसके लिए संत समाज ने पहल की है। जो अखाड़ों की व्यवस्था होती है उसको सुचारु रुप से करने की इसमें संत समाज बधाई का पात्र है।