गजब: 17 दिनों से धरने पर बैठा तीर्थ पुरोहित समाज। सरकार के विरोध में बजाए शंख-घंटे घड़ियाल

17 दिनों से धरने पर बैठा तीर्थ पुरोहित समाज। सरकार के विरोध में बजाए शंख-घंटे घड़ियाल

रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। उत्तराखंड की पूर्व हरीश रावत सरकार द्वारा हर की पैड़ी से डामकोठी तक आ रही गंगा को स्केप चैनल घोषित करने के शासनादेश को बदलने के लिए हरिद्वार का तीर्थ पुरोहित समाज आंदोलन की राह पर है। तीर्थ पुरोहित समाज द्वारा हर की पैड़ी पर 17 दिनों से धरना दिया जा रहा है। आज इन तीर्थ पुरोहितों द्वारा उत्तराखंड की बीजेपी सरकार को जगाने के लिए घंटे और घड़ियाल बजा कर विरोध प्रदर्शन किया गया। तीर्थ पुरोहितों ने मांग की है कि, उत्तराखंड की वर्तमान सरकार पूर्व में हरीश रावत सरकार द्वारा दिए गए शासनादेश को बदलकर गंगा को मां का दर्जा नहीं देती है, तब तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा।

गंगा को मां का दर्जा दिलाने के लिए हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित समाज द्वारा 17 दिनों से हर की पैड़ी पर धरना किया जा रहा है। मगर अब तक शासन और प्रशासन की तरफ से इनसे कोई भी वार्ता करने नहीं पहुंचा। आज इनके द्वारा शासन और प्रशासन को जगाने के लिए घंटे और घड़ियाल बजा कर विरोध प्रदर्शन किया गया। इन तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि, आज हमारे धरने को 17 दिन है।

पूर्व की हरीश रावत सरकार द्वारा गंगा को स्केप चैनल का शासनादेश जारी किया था, हमारी वर्तमान सरकार से मांग है कि, जल्द से जल्द इस शासनादेश को निरस्त किया जाए और मां गंगा का सम्मान मां को दिया जाए। आज हमारे द्वारा कुशावर्त घाट से हर की पैड़ी तक शंख, घंटे और घड़ियाल बजाकर सरकार सनातन प्रेमी ने जगाने का कार्य किया है। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि, जब घंटे और घड़ियाल बजाए जाते हैं उससे देवी को चेतन किया जाता है। जिससे वह जाग जाए आज उसी तरीके से हमने जो सरकार सोई हुई है उसको जगाने का कार्य किया है। वह पूर्व की सरकार द्वारा लाए गए शासनादेश को बदलने का कार्य करें।

पूर्व हरीश रावत सरकार द्वारा गंगा को स्केप चैनल घोषित करने के शासनादेश को बदलने के लिए हरिद्वार का तीर्थ पुरोहित समाज आंदोलन की राह पर है और 17 दिन से हर की पैड़ी पर धरने पर बैठा है। तीर्थ पुरोहितों की मांग है कि, जल्द से जल्द पूर्व सरकार द्वारा किए गए इस शासनादेश को वर्तमान सरकार द्वारा बदला जाए और अगर सरकार जल्द ही इस निर्णय को नहीं बदलती है तो हरिद्वार का तीर्थ पुरोहित समाज बड़े आंदोलन की राह पर होगा। अब देखना होगा उत्तराखंड की वर्तमान सरकार द्वारा कब तक इस शासनादेश के आदेश को बदला जाता है।