बॉलीवुड में पनप रहे नशे के कारोबार पर साधु संत आक्रोशित। संतो ने की कड़ी कार्रवाई की मांग
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। फिल्मी कलाकार सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच में युवा पीढ़ी के रोल मॉडल कहे जाने वाले कई फिल्मी कलाकारों का असली चेहरा उजागर किया है और कई फिल्मी कलाकारों का नाम ड्रग्स को लेकर जांच में सामने आ रहा है। इनमें कई फिल्मी कलाकारों को जांच एजेंसी एनसीबी द्वारा समन भेजे गए हैं। बॉलीवुड में पनप रहे नशे के कारोबार को लेकर अब धर्मनगरी हरिद्वार स्थित कई अखाड़ों के साधु संतों ने नशे का सेवन करने वाले फिल्मी कलाकारों, ड्रग्स माफियाओं और अंडरवर्ल्ड के लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। इन संतों का कहना है कि, पूरे भारतवर्ष से ही नशे का सफाया होना चाहिए और आने वाली पीढ़ी को बर्बाद होने से बचाया जाना चाहिए।
हरिद्वार स्थित प्राचीन अवदूत मंडल आश्रम के अध्यक्ष महंत रूपेंद्र प्रकाश महाराज का कहना है कि, नशा भी कोरोना महामारी की तरह एक वैश्विक महामारी है। एक बहुत बड़ा नेटवर्क पूरे विश्व में नशे को लेकर कार्य करता है। मुंबई तो केवल इसका एक उदाहरण मात्र है। पूरे भारतवर्ष में एक बड़ा रैकेट है, जो इस नशे का कारोबार करता है। नशे के कारोबार में कई बड़े-बड़े लोग सम्मिलित हैं। अगर सरकार की इच्छाशक्ति है तो कई लोगों के नाम उजागर होंगे। नशे में पडकर हमारी आने वाली पीढ़ियां नष्ट हो रही है। फिल्मी कलाकार पर्दे पर तो बुराई को खत्म करने का रोल करते हैं, मगर इन कलाकारों का व्यक्तिगत जीवन प्रेरणा लेने लायक नहीं है।
युवा पीढ़ी को इन फिल्मी कलाकारों को अपना रोल मॉडल नहीं मानना चाहिए। पर्दे पर जो यह फिल्मी कलाकार रोल प्ले करते हैं। वह उनका व्यवसाय हैं और उसको व्यवसाय के रूप में देखना चाहिए।उन्होंने यह भी कहा कि, सच्चाई सबको पता है ऐसा पहली बार हुआ है कि, इस तरीके से नशे के बारे में जो फिल्म उद्योग में नशे को लेकर होता है उसका पर्दाफाश हुआ है। यह फिल्मी कलाकार कई राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हैं। आमिर खान भी इजिप्ट में जा कर वहां की महारानी से मिले है। इसमे साधु संतों की मांग है कि, भारतवर्ष से जितनी भी बुराई है वह खत्म हो। सभी धर्म गुरुओं को मिलकर नशे के खिलाफ मुहिम चलानी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को नशे की गिरफ्त से बताया जा सके।
जूना अखाड़ा के महंत रविंद्रानन्द सरस्वती का कहना है कि, नशे को लेकर जिस तरह की गतिविधियां फिल्म उद्योग में चल रही है वह फिल्म उद्योग के लिए भारी पड़ सकती हैं। इस तरह के नशे की गतिविधियों को फिल्म उद्योग से पूरी तरह समाप्त कर देना चाहिए। युवा पीढ़ी केवल पैसा कमाने और ऐशों आराम के लिए फिल्म उद्योग की तरफ रुख कर रही है। ड्रग माफिया अंडरवर्ल्ड के लोग युवा पीढ़ी को फिल्म उद्योग में सफलता की ऊंचाइयों तक नहीं पहुंचने देते हैं। प्रतिभा को दबा दिया जाता है। यह सभी माफिया मिलकर फिल्म इंडस्ट्री को बर्बाद कर देना चाहते हैं। जो फिल्मी कलाकार नशे में लिप्त है। उनसे प्रभावित होकर युवा पीढ़ी भी अपने आप को बर्बाद कर रही है। जो भी फिल्मी कलाकार नशे का सेवन करते हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
निर्मल अखाड़े के कोठारी जसविंदर शास्त्री का कहना है कि, फिल्म उद्योग और फिल्मी कलाकार एक दर्पण की तरह हैं। जो भी वह लोग कार्य करते हैं उससे लोगों का जीवन प्रभावित होता है। इन कलाकारों को देखकर युवा पीढ़ी ने अपना जीवन बर्बाद कर दिया है। फिल्म उद्योग और फिल्मी कलाकारों को देखकर युवा पीढ़ी नशे की तरफ आकर्षित हो रही है। जो भी कलाकार इस नशे के कार्यों में संलिप्त हैं उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। हमारे देश में सबसे ज्यादा नुकसान नशे की वजह से हो रहा है। पूरे देश में नशे का सफाया होना चाहिए।
बता दें कि, फिल्मी उद्योग में कई बड़े सितारे सालों से नशे का सेवन कर रहे हैं और नशे का कारोबार फिल्म उद्योग में काफी सालों से पनप रहा है। फिल्मी सितारों के खिलाफ अब हरिद्वार के विभिन्न अखाड़ो के साधु-संतों ने कड़ी कार्रवाई की मांग की है। देखने वाली बात यह होगी कि, जांच एजेंसी एनसीबी द्वारा अपनी जांच पूरी कर दोषियों के खिलाफ कब तक कड़ी कार्रवाई की जाती है और कब तक सुशांत सिंह राजपूत की मौत की उलझी गुत्थी एनसीबी द्वारा सुलझाई जाती है।