कोरोना महामारी और बेरोजगार होते लोग
– विकास कुमार
साल 2020 जब शुरू हो रहा था तो लोग अपने नये साल के संकल्प को निर्धारित कर रहे थे और अपना-अपना लक्ष्य तय कर उस दिशा में काम कर रहे होंगे। मगर यह किसी को मालूम नही था कि, एक वायरस के कारण ऐसी स्थिति आयेगी कि घर से दूर या घर में काम कर रहे सभी कामगारों को धीरे-धीरेे बेरोजगारी का सामना करना पडे़गा। आज का समय ऐसा समय है कि, हम इसकी कभी कल्पना भी नही किये थे। दूसरी बात यह कि, यह समय इतना लम्बा होगा यह भी कभी नहीं सोचा था। हमारे देश भारत में लाॅकडाउन मार्च से शुरू हुआ था तो लगता था कि, एक महीने में सब कुछ ठीक हो जायेगा। परन्तु ऐसा कुछ भी नही हुआ। आज अगस्त का महीना चल रहा है और औपचारिक रूप से आर्थिक नुकसान को देखते हुऐ अनलाॅक 1, 2, और 3 कर दिया गया है लेकिन यह अवधि भी इतनी लंबी थी कि, भारत के सभी रोजगार के क्षेत्र बहुत प्रभावित हुए है और किसी न किसी रूप में इस महामारी ने हर किसी को नुकसान पहुंचाया है।
शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, अनुसंधान, पर्यटन, परिवहन, निर्माण, उद्योग, लघु एवं कुटीर उद्योग तमाम क्षेत्रो में लोंगो को परेशानियों का सामना करना पर रहा है। यहां तक कि कई क्षेत्र को तो व्यापक रूप से बंदी का सामना करने के साथ-साथ अपने कर्मचारियों को पगार काटना एवं नौकरी से निकालना जैसे स्थिति आ गई है और यह वर्तमान में भी चल रहा है। ऐसे बहुत लोग और परिवार हमारे देश में है जो अपने बचत के पैसे से घर चला रहे है, तो कोई कर्ज लेकर अपना घर चला रहा है। लाखों ऐसे मजदूर वर्ग के लोग हैं जो दिन में एक बार भोजन कर जैसे तैसे घर चला रहे है। वर्तमान स्थिति तो अब ऐसी हो गई है कि बहुत लोग तनाव के कारण आत्म हत्या भी कर रहे है।
महामारी कि जो स्थिति है वह अभी कम होने वाली नही है। वही आर्थिक को देखते हुए, हर संस्थान को अब खोल ही दिया गया है। परन्तु अब पहले से ज्यादा सावधानी रखनी होगी। क्योंकि कोई ऐसा राज्य और जिला इस कोरोना वायरस से अछूता नही रहा। अब सभी लोंग इस कोरोना के साथ लगभग जीना भी सिख रहे हैं। कहते है कि, लाॅकडाउन का लोग तब तक ही पालन करते है जब घर में अनाज और बैंक में पैसे हो। यह बात सही भी है अगर घर के लोग भूखे और अस्वस्थ हो तो फिर कोई नही चाहेगा कि, वह घर में रहकर नियमों का पालन करें और अपने लोगों को भूखे और बीमार छोड़ दें।
जिस परिवार में एक आदमी कमाने वाला है और परिवार कि सभी जिम्मेदारी उसके ऊपर हो और अगर वह पगार कटोती और नौकरी से निकाला जैसे स्थिति का सामना कर रहा होगा तो आप सोच सकते हो कि, उस पूरा परिवार आज किस स्थिति को सामना कर रहा होगा। राशन, साग-सब्जी, दवाई, बच्चों के खर्च एवं ट्यूशन व स्कूल के फीस एवं अन्य खर्च के साथ-साथ पूरे महीने किस तरह से बितायेगा इस पर जरा विचार कर के देखें। वर्तमान में ऐसे अनेको परिवार है जो पगार कटोती और बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं। कुछ लोग बस इस भयानक परिस्थिति को सबके साथ बिता रहे हैं। इस उम्मीद में कि आने वाले कुछ दिनो में सब ठीक हो जायेगा और हम फिर से पहले जैसे समान्य स्थिति में आ जाऐगें। दूसरी तरफ आप यह देख सकते है कि, पूरे देश में अनको परिवार के जिम्मेदार लोग इस तनाव भरी स्थिति का सामना करने में असमर्थ है और हर रोज कोई न कोई तनाव के कारण आत्महत्या कर रहा है।
हम अब भविष्य कि कल्पना किस अंदाज से करे यह सोचना पड़ रहा है। हमारे देश की वर्तमान में जो स्थिति है वहां हर रोज हजारों कि संख्या में समर्पित लोंगो के सामने आ रहे हैं और सैकड़ो के हिसाब से हर रोज मर रहे है। परन्तु बहुत लोेग दिन पर दिन ठीक भी हो रहे हैं। अब इन सभी परिस्थिति को देखा जाये तो खतरा हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। लोगो को रोजगार के लिए घर से बाहर निकलना ही होगा और काम करना ही पड़ेगा, जो इतने दिन हम लोगों ने लाॅकडाउन में बिताया है अब आगे यह नही बरकरार रह सकता, नही तो घर, परिवार और समाज में अब बहुत वयापक रूप से तनाव हावी हो जायेगा।
आने वाले समय में हमें अब कोरोना के साथ जीना सिखने के अलावा संपूर्ण सावधानी रखनी होगी। दो गज दूरी और दो गज कफन में अब ज्यादा फर्क नही रह गया है। आप सभी लोगों से निवेदन है कि, अपने जीवन मे संतुलन बनाये रखें यह बुरा दौर जरूर है परन्तू एक दिन जरूर समाप्त होगा। पहले जैसा नही तो उससे अच्छा होगा। हमारा आने वाला वक्त। अब कुछ चिजों को ध्यान में रखकर हम अपना नित्य कर्म और जीवनयापन हेतु जो करना है। उसे करते रहे और अपनी सावधानी स्वयं रखें। किसी के भरोसे कुछ नहीं छोड़ना चाहिए। यह जीवन अपना है, इसको स्वस्थ्य रखना हमारी जिम्मेदारी है। बस दो गज कि दूरी, मास्क और जरूरत के हिसाब से सेनेटाईजर को इस्तेमाल करते रहे, भीड़ में जाकर बहादुर न बने और हो सके तो दूसरों को भी यह संदेश दे कर उनकी रक्षा करें।