वीडियो: नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने भगवान राम को बताया नेपाली। संतों में आक्रोश। संतो ने की ओली की तुलना उल्लू से

नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने भगवान राम को बताया नेपाली। संतों में आक्रोश। संतो ने की ओली की तुलना उल्लू से

रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। नेपाल के प्रधानमंत्री के भगवान राम को नेपाली मूल का बताने पर संतो में तीखी प्रतिक्रिया है। संतो ने भारत सरकार से नेपाल सरकार के सामने अपना विरोध जताने की अपील की है। भगवान राम को नेपाली बताने के नेपाल के प्रधानमंत्री औली के बयान पर देश मे गुस्सा है। जगतगुरु पीठाधीश्वर शंकराचार्य राज राजेश्वराश्रम ने तो इस बयान पर नेपाल के प्रधानमंत्री ओली की तुलना उल्लू से करते हुए कहा कि, जैसे उल्लू को सूर्य नही दिखाई देता है उसी तरह से ओली को सूर्यवंशी भगवान राम का अस्तित्व नजर नही आ रहा है। राजनीतिक अस्थिरता से ध्यान हटाने के लिए ऐसा बयान दिया गया है। वहीं पतंजलि योग पीठ के महामंत्री और नेपाल मूल के आचार्य बालकृष्ण ने भी कहा कि, भगवान राम को राजनीतिक सीमाओं में नही बांधा जा सकता है। उन्होंने कहा कि, किसी के कुछ भी कह देने से हमारे अतीत की परंपराए बदल नही जाएंगी।

शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम ने ओली की तुलना उल्लू से करते हुए कहा कि, जिस तरह से उल्लू को सूर्य नही दिखाई देता है उसी तरह से उन्हें भगवान राम का अस्तित्व भी दिखाई नही दे रहा है। उन्होंने कहा कि भगवान राम सूर्यवंशी थे और अयोध्या में ही पैदा हुए थे। इनका कहना है कि, अन्य कहीं पर किसी जगह का नाम अयोध्या हो जाने से ही तो भगवान राम की जन्म भूमि नही बन जाएगी। थाईलैंड में भी एक अयोध्या नाम की जगह है तो क्या वह भगवान राम की जन्मस्थली हो जाएगी। इनका कहना है कि, नेपाल भगवान राम की ससुराल तो हो सकती है। क्योंकि उनका विवाह नेपाल के जनकपुर स्थित राजा जनक की पुत्री सीता से हुआ था। शंकराचार्य ने कहा कि, नेपाल के प्रधानमंत्री का खुद का राजनीतिक भविष्य संकट में है। इसलिए वह अपने यहां चल रही राजनीति अस्थिरता से ध्यान हटाने के लिए इस तरह के बयान दे रहे है।

नेपाल मूल के पतंजलि के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने भी नेपाल के प्रधानमंत्री के बयान को गलत बताया है। इनका कहना है कि, हमारे महापुरुषों की एक समृद्धि परम्परा और विरासत है और ऐसे किसी राजनीतिक सीमाओं में नही बांधा नहीं जा सकता है। हमारे महापुरुषों पर किसी के भी बयान पर उनके अस्तित्व को, परम्पराओ को नही बदला जा सकता। भारत समेत नेपाल और कई देश आर्यावर्त का हिस्सा थे। भले ही उनकी राजनीतिक सीमाएं अलग-अलग हों। कुछ लोग भारत में और अन्य जगहों पर यह बात कहते हैं कि, रामायण और महाभारत काल्पनिक थे। उनके कहने से क्या यह काल्पनिक हो जाएंगे? हमारे महापुरुषों की हमेशा एक परंपरा रही है और उनका अपना अस्तित्व और व्यक्तित्व रहा है, जो प्रेरणादाई है।

नेपाल के प्रधानमंत्री ओली द्वारा दिए गए भगवान राम पर बयान के बाद साधु संत काफी आक्रोशित है। संतो ने औली की तुलना उल्लू तक से कर दी और कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री का खुद का राजनीतिक भविष्य संकट में है। इस लिए वो इस तरह के बयान दे रहे है।