उत्तराखण्ड सरकार हर मोर्चे पर विफल। ‘आप’ ने की इस्तीफे की मांग
– प्रदेश के मुखिया को पद पर बने रहने का हक नहीं
– दायित्वधारियों का वेतन बढ़ाने का निर्णय बेहद शर्मनाक
देहरादून। कोरोना के चलते इस संकटकाल में दयित्वधारियों का वेतन बढ़ाने का निर्णय ले कर सरकार ने अपनी मंशा और प्रदेश को चलाने का विजन साफ कर दिया है। इससे शर्मनाक निर्णय और हो भी क्या सकता है। तीन माह के दौरान जिस तरह से इस महामारी पर कार्य किया गया है उससे साफ है कि, उत्तराखण्ड सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है, और इसी आधार पर नैतिकता के नाते मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
सरकार द्वारा किये गए कार्यों पर उत्तराखंड आम आदमी के प्रदेश प्रवक्ता रविंद्र सिंह आनंद सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, उत्तराखण्ड पहला ऐसा राज्य बना जहां पर पूरी कैबिनेट ही क्वारंटाइन हो गयी, जो सरकार खुद का ध्यान नहीं रख सकती वह जनता की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं पर कैसे खरा उतरेगी। इसके अलावा जब प्रदेश में आम जनता के बारे में सोचना चाहिए तब प्रदेश के मुखिया दायित्वधारियों को खुश करने की सोच रहे है, उनका वेतन बढ़ा रहे है।
रविन्द्र ने कहा कि, जनता प्रदेश के मुखिया से सिर्फ यह जानना चाहती है कि, तीन माह से आॅटो, विक्रम, बस चालकोें का बेरोजगार बैठ कर बुरा हाल है। सरकार ने आखिर उनके बारे में क्या सोचा? आमआदमी के बिजली और पानी के बिलों को माफ करने के बारे में क्या सोचा? स्कूलों की फीस जो लोग नहीं भर पा रहे है उनके बारे में क्या सोचा? गौरतलब है कि, जहां कुछ सोचना चाहिए उस जगह पर खड़े होकर सरकार सिर्फ अपना पल्ला झाड़ रही है। सरकार का कहना है कि, सरकार कहां से कुछ करे और ऐसे में उनके पास दायित्वधारियों को बढ़ा वेतन देने के लिए सरकारी खजाना हैै।
ऐसे में मैं सरकार से यह जानना चाहता हूँ कि, आम आदमी की खून पसीने की कमाई से जमा होने वाले टैक्स आदि पर आज यदि उनका इतना भी हक नहीं है तो इस सरकार को क्या रहने का हक है। मैं प्रदेश के मुख्या से पूछता हूँ कि, जिन दो कोरोना मरीजों को सरकार की ओर से दी जाने वाली निम्न सुविधाओं के चलते आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ा ऐसे में क्या प्रदेश के मुखिया को पद पर बने रहने का हक है। आम आदमी पाटी इन्ही सब मुद्दों को लेकर प्रदेश के मुखिया से इस्तीफे की मांग करती है और यदि ऐसा नहीं होता है तो पार्टी सड़कों पर उतर संघर्ष करने को मजबूर होगी।