लॉकडाउन में दिव्यांग बच्चों के साथ गरीबी की मार झेल रहा परिवार

लॉकडाउन में दिव्यांग बच्चों के साथ गरीबी की मार झेल रहा परिवार

रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार/भाबर। वार्ड 37 झण्डी चौड़ पश्चमी का एक परिवार ऐसा भी है जो आज भी मोमबत्ती जलाकर घास फूस की झुग्गी-झोपडी में जीवनयापन कर रहा है। बदकिस्मती देखो बच्चे दो जिनमे से एक लड़का जो कुपोषण की मार झेल रहा है तो दूसरी उनकी बेटी जो शारीरिक दिव्यांग के साथ-साथ मानसिक दिव्यांग भी है। जहां रहने की बात की जाए तो झुग्गी-झोपडी ही उनके लिए महल है। सरकार भले गरीबो के हित में कार्य करने के बड़े-बड़े दावे कर रही हो लेकिन धरातल पर इस परिवार की हालात देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि, दावों में कितनी सचाई छूपी है।

बता दें कि, नगर निगम कोटद्वार के अंतर्गत वार्ड 37 झण्डी चौड़ पश्चमी में निवास कर रही माहेश्वरी देवी का परिवार जो इस आधुनिक युग में जैसे-तैसे दिहाड़ी मजदूरी कर दिन काट रही है। आज भी माहेश्वरी के आंसू बया करते है कि, वो किस कदर अपनी स्थिति से परेशान अपने दोनों बच्चों के संग जीवन यापन कर रही है। माहेश्वरी देवी अपने पिता द्वारा दान की गई भूमि पर एक झुग्गी-झोपडी में निवास करती है। झुग्गी-झोपडी की बात की जाए तो महज सर ढकने का एक सहारा है। ज्येष्ठ माह की इस गर्मी में न बिजली, न पानी एक मोमबत्ती के सहारे रात काटना कितना बड़ा संघर्ष है। पंखा, टीवी, गैस चूल्हा ये उनके लिए एक सपना है।

जंगलो से लकड़ी लाकर चूल्ह जलता है। पति पत्नी के अशिक्षित होने के कारण योजनाओ की जानकारी नही हो पाती। यहां तक उनकी लड़की का अभी तक विकलांग प्रमाण पत्र तक नही बना, जिससे थोड़ी आर्थिक मदद सरकार द्वारा मिलती। कोटद्वार में कुछ एनजीओ है जो गरीबो के हित में अग्रणी कार्य करती आई है, और कार्य कर रही है। जिससे गरीब परिवारो के लिए जीवन को जीने की एक राह बनी है। माहेश्वरी देवी का परिवार आज भी उस किरण को तलाश रही है। जिससे उसके परिवार का जीवन प्रकाशमय हो जाये। हम भी यहीं प्रार्थना उन तमाम समाजसेवियों और एनजीओ से करते है कि, इस परिवार की मदद के लिए आगे आये।