गुड़ न्यूज़: जनसेवा में ऑटो चालक व पुताई कर्मी का विशेष सहयोग

जनसेवा में ऑटो चालक व पुताई कर्मी का विशेष सहयोग

रिपोर्ट- संजय भट्ट
देहरादून। कोरोना वायरस संक्रमण के इस काल में जब पिछली 20 मार्च से सम्पूर्ण उत्तराखण्ड में लॉकडाउन है। वहीं देशभर में भी 24 मार्च से लॉकडाउन है। ऐसे में सामाजिक लोग बढ़-चढ़ कर दूसरों की मदद के लिए हाथ बड़ा रहे हैं। ऐसे ही दो मजदूर कोरोना वारियर्स से आज हम आपको मुखातिब करवाते हैं। एक पुताई का काम करने वाले सुशील सैनी देहरादून के कारगी क्षेत्र में रहते हैं। लॉकडाउन में इनसे दूसरों का दर्द देखा नहीं गया तो अपने जानने वालों का दरवाजा खटखटा दिया।

राशन वितरीत करता पुताईकर्मी

सुशील सैनी ने अपने साथियों की मदद से पहले राशन इकट्ठा किया फिर पहुंच गए जरूरतमन्दों के द्वार तक राशन पहुंचाने। सुशील सैनी ने बताया कि, इमरान राणा, त्रिलचन भट्ट, सुनीता सिंगज, विराट गुप्ता, भार्गव चंदोला, संजय भट्ट व अपने अन्य साथियों की मदद से वे राशन का जैसे तैसे जुगाड़ करते हैं और फिर उस राशन को अलग-अलग हिस्सों में बांट कर अति जरूरतमन्दों को दे कर आते हैं। सुशील सैनी का यह कार्य पिछली 22 मार्च से लगातार जारी है।

विक्रम चालक का भी जनसेवा में सहयोग

गौरतलब है कि, किराए का विक्रम चलाने वाले अजय कुमार देहरादून के जाखन, राजपुर रोड क्षेत्र में रहते हैं। इन्होंने लॉकडाउन में कोरोना वारियर्स व जरूरतमन्दों को चाय-बिस्किट बांटने का बीड़ा उठाया हुआ है। अजय कुमार ने बताया कि अनुप सक्सेना टीम, अजँलि डेयरी, शक्ति टेँट हाऊस, दीप र्टेवल्स, मुन्ना लाल, दशरथ, रोहित आदि साथियों के सहयोग से यह सेवा चल रही है। अजय कुमार ने बताया कि, यह चाय और बिस्कुट की सेवा बीते 2 अप्रैल से जारी है। साथियों के सराहनीय सहयोग से यह सेवा हमारे लिये दिन रात एक किये हुए पुलिस के जवान, सफाई कर्मचारी तथा जरूरतमंद भाईयोँ के लिए सबह शाम दो वक्त किशनपुर से घँटाघर और नजदीकी एरिया पर दी जा रही है।

                       चाय वितरित करते विक्रम चालक

इन दोनों की कोरोना वारियर ने कहा कि हम दुआ करते हैं कि, देश जल्दी इस कोरोना महामारी से निजात पाए और पहले सी खुशहाली हो। वैसे तो विभिन्न सामाजिक संगठन आजकल कोरोना वारियर्स को प्रमाणपत्र जारी कर उत्साह वर्धन कर रहे हैं। वहीं जिला प्रशासन रोज के कोरोना वारियर्स की घोषणा कर उत्साह वर्धन का कार्य कर रहे हैं। लेकिन इन मजदूर कोरोना वारियर्स पर न जाने क्यों किसी की भी नजर नहीं पड़ी। शायद ये मजदूर हैं, लेकिन मजबूर होकर भी मजबूर नहीं हैं।