डबल इंजन की सरकार महामारी में हो गई फैल
– क्यों औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले श्रमिकों के साथ हो रहा अन्याय?
– क्यों जीडीपी को भी फर्जी तरीके से दर्शा कर दिखाए थे 6.8 फ़ीसदी के ख्वाब?
– फर्जी आंकड़ों के आधार पर जनता को कुछ समय के लिए ही किया जा सकता है गुमराह
देहरादून। लगभग 2.46 लाख करोड की अर्थव्यवस्था एवं लगभग 1.99 लाख रुपए प्रति व्यक्ति आय वाले डबल इंजन की सरकार इस कोरोना महामारी के डेढ़ महीनों में ही हवा ले गई। सरकार ने फर्जी आंकड़ों के सहारे बड़े-बड़े दावे कर पूर्व में जीडीपी 6.8 फ़ीसदी एवं हजारों करोड रुपए के निवेश होने की बात कही थी, लेकिन कोरोना महामारी ने सरकार के झूठे दावों की बखिया उधेड़ कर रख दी है।
क्यों हवा हो गए हजारों करोड़ निवेश के दावे?
साथ ही करोड़ों रूपए खर्च कर झूठे विज्ञापन छपवाकर तथा फर्जी आंकड़ों के आधार पर कृषि के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करने, इन्वेस्टर समिट के माध्यम से हजारों करोड़ों रुपए निवेश होने की बात कहकर वाहवाही लूटने का काम किया था। आज जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि, अगर सरकार माफियाओं के हाथ में न खेलती व ईमानदारी से काम करती तो निश्चित तौर पर प्रदेश का राजस्व कई गुना बढ़ जाता तथा हजारों करोड रुपए बाजारू कर्ज की जरूरत न पड़ती। सूबे की त्रिवेन्द्र रावत सरकार ने प्रदेश को पूरी तरह से कंगाल कर दिया है।
कर्मचारियों के भत्ते काटकर किया जा रहा उनका शोषण
रघुनाथ ने बताया कि, इस महामारी में सरकार जनता का दर्द कम करने में विफल रही है तथा इसी का नतीजा है कि, सरकार छात्रों की फीस, श्रमिकों के वेतन, पत्रकारिता से जुड़े गरीब कर्मियों व जनमानस को सुविधा देने आदि के मामले में कोई व्यवस्था नहीं कर पाई, उल्टा कर्मचारियों के भत्तों में कटौती व दान/चंदा इकट्ठा करने के बावजूद भी फ्लॉप साबित हुई है। मोर्चा ने सरकार पर व्यंग कसते हुए कहा कि, फर्जी आंकड़ों के आधार पर जनता को कुछ समय के लिए गुमराह किया जा सकता है, लेकिन हमेशा के लिए नहीं।