उत्तराखण्ड की स्वास्थ्य सुविधाओ और अर्थव्यवस्था का पोलखोल लॉकडाउन
देहरादून। लाॅकडाउन की स्थिति ने प्रदेश में सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं व अर्थव्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। जिस दिन से लॉकडाउन प्रभावी हुआ उसके अगले दिन से भूख सार्वजनिक हो गयी। लोग मानवता के नाते खाने के और सूखे राशन के पैकेट लेकर सड़कों पर बांटने लगे। अभी लॉकडाउन को एक महीना भी नहीं हुआ है और प्रदेश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ा गयी है, तो फिर हम किस अर्थव्यवस्था के साथ खड़े थे। ऐसे ही 5 ट्रिलियन इकॉनमी के सपने हमारे मा० प्रधानमंत्री दिखा रहे थे।
इस कड़ी में आम आदमी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवीन पिरशाली ने मीडिया में आज बयान जारी करते हुए कहा कि, आज प्रधानमंत्री कोरोना संकट के हल के नाम पर कभी थाली बजवा रहे हैं, कभी दीपक जलवा रहे हैं, नोट बंदी में सबके खातों के हिसाब देखने वाले प्रधानमंत्री आज ये बताने को तैयार नहीं हैं कि, प्रधानमंत्री केअर फण्ड में कितना पैसा आया औए कितना गया? आज प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था ख़स्ताहाल है, सरकार के पास कोरोना संकट से निपटने के लिये पर्याप्त संसाधन नही हैं। निजी अस्पतालों पर डंडे के बल पर जोर डाल रहे हैं कि मुफ्त में सेवा दें आयुष्मान कार्ड के भरोसे।
सरकारी अस्पतालों के स्टाफ के लिए बीमा है वो भी केवल दस लाख का और निजी अस्पतालों के स्टाफ के लिए वो भी नहीं है। जबकि प्राइवेट स्टाफ का भी बीमा होना चाहिए और प्राइवेट अस्पतालों को भी उनके द्वारा दी जा रही सेवाओं के लिए दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की तर्ज पर सुविधाएं और भुगतान करना चाहिये। पिरशाली ने कहा कि, आज प्रदेश में कोरोना संदिग्धों को ढूंढा नहीं जा रहा है, बल्कि जो अस्पताल पहुँच रहे हैं। केवल उन्हीं का टेस्ट हो पा रहा है। जिस तरह से दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार 5टी के फॉर्मूले पर काम कर रही है। उसी प्रकार से उत्तराखण्ड सरकार को भी इस कोरोना संकट से निपटने के लिए काम करने की आवश्यकता है। लेकिन इनकी प्लानिंग में से सारे “टी” गायब हैं। सरकार की कोई प्लानिंग नही है, दिखावा हो रहा है और समय काट रही है।